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नेता मंत्री आएंगे मिलकर शहर चमकाएंगे - मोहन थानवी






-नेता मंत्री आएंगे मिलकर शहर चमकाएंगे

- मोहन थानवी 

यह सब सपने की तरह है। कोई तो नेता शहर की सड़कों पर चलता हुआ बीकानेर की सफाई व्यवस्था को कोसेगा। बीकानेर के भीड़ भरे बाजारों में निराश्रित पशुओं के विचारण को देखकर प्रशासन पर खीझेगा। रेल फाटक बंद होने पर धूप में खड़ा होकर प्रदूषित वातावरण का कष्ट उठाएगा। 


*खबरों में बीकानेर*




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नेता मंत्री आएंगे मिलकर शहर चमकाएंगे

- मोहन थानवी 

यह सब सपने की तरह है। कोई तो नेता शहर की सड़कों पर चलता हुआ बीकानेर की सफाई व्यवस्था को कोसेगा। बीकानेर के भीड़ भरे बाजारों में निराश्रित पशुओं के विचारण को देखकर प्रशासन पर खीझेगा। रेल फाटक बंद होने पर धूप में खड़ा होकर प्रदूषित वातावरण का कष्ट उठाएगा। 

 एक जमाना था जब बीकानेर शहर में यदा-कदा कोई मंत्री अथवा कोई नेता आता । तब प्रशासनिक अमला नेता मंत्रियों के स्वागत को आतुर हो पूरे बीकानेर को चमकाने का प्रयास करने लगता । उस जमाने में सड़कों के किनारे होर्डिंग और बिजली - टेलिफ़ोन के पोलों पर पोस्टर नहीं के बराबर चमकते थे। लेकिन किसी नेता मंत्री के आने पर बड़े-बड़े होर्डिंग न सही छोटे छोटे होर्डिंग कुछ खास जगह पर लगे मिल जाते थे। विशेष ड्यूटी लगाकर यातायात की व्यवस्थाएं होती थी। इसी तरह विशेष ड्यूटी के नाम पर सड़कों और गलियों की सफाई भी बड़े जोरों शोरों से होती देखी जाती थी । 

एक और गतिविधि होती थी दीवारें रंगने की । कुछ खास स्थानों की दीवारें स्वागत अभिनंदन जैसे शब्दों से चमचम उठती थी । और हां कुछ नेता मंत्री तो ऐसे भी आते थे जिनके स्वागत अभिनंदन के लिए स्कूली बच्चे सड़कों पर ले जाए जाते थे । यह बीते जमाने की बात हो गई । हालांकि कुछ हद तक अब भी ऐसी गतिविधियां होती जरूर है। लेकिन आमजन की दृष्टि उन गतिविधियों तक सीधी-सट्ट पहुंच नहीं पाती । जैसे नेता मंत्रियों के आगमन की सूचना के तुरंत बाद से संबंधित विभागों में कर्मचारी के उपस्थित रहने के समय का औसत यकायक बढ़ जाता है। वहां फाइलों की आवक जावक तेजी से होने लगती है। और कार्यालय में विशेष रूप से रंगाई पुताई और सफाई अभियान चलने लगता है । आने वाले नेता मंत्री के ठहरने के लिए प्रस्तावित होटलों के मार्ग और नेता मंत्रियों के होने वाले कार्यक्रमों के अनुसार उनके आवागमन के चिन्हित मार्गों पर ठीक वैसी ही गतिविधियां हो जाती है जैसी बीते जमाने में दिखाई देती थी।

 बाकी शहर हालात बदलने को लेकर इंतजार ही करता रह जाता है की कोई तो नेता शहर की सड़कों पर चलता हुआ बीकानेर की सफाई व्यवस्था को कोसेगा। बीकानेर के भीड़ भरे बाजारों में निराश्रित पशुओं के विचारण को देखकर प्रशासन पर खीझेगा। रेल फाटक बंद होने पर धूप में खड़ा होकर प्रदूषित वातावरण का कष्ट उठाएगा। यह सब सपने की तरह है। ऐसा ना तो होता है और न होने की उम्मीद रखनी चाहिए ।

 क्योंकि नेता मंत्री तो बेश कीमती समय रखने वाले होते हैं। उनके पास मिनट मिनट के हिसाब से सैकड़ो कार्य होते हैं और उनके कार्य 4 घंटे की जगह 40 मिनट में हो जाने चाहिए और होते भी हैं । हां, उनके पास चुनाव के दिनों में जितना समय वोट मांगने के लिए आमजन से मिलने का होता है वे पूरे 5 साल में कुल मिलाकर भी आमजन से उतने समय में नहीं मिल पाते। हालांकि नेताओं मंत्रियों के शहर में आने पर आम जन को इच्छा के अनुसार लाभ होता दिखाई नहीं देता लेकिन शहर तो लाभान्वित होता ही है। इसमें कोई दो राय नहीं ।

 नेता मंत्री आते हैं तो शहर के विकास को गति मिलती है । नए क्षेत्रों में विकास की संभावनाओं पर विचार विमर्श बढ़ता है। व्यापार के क्षेत्र को लाभ होता है । नए-नए उद्यम स्थापित करने के लिए भी संभावनाएं तलाशी जाती है । और भी बहुत से विकास के द्वार खुलते हैं। लेकिन एक आम आदमी जब थैला लेकर बाजार में निकलता है और वापस घर पहुंचता है इस दरमियान उसे जो तकलीफ सहनी पड़ती है उसके निवारण की ओर कोई कदम उठते दिखाई नहीं देते ।

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