अभाव और खुशहाली के दरमियान जी रहे 140 करोड़ लोगों की उम्मीद हैं 5 साल



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आज फिर 5 सवाल कुलबुला रहे उंगली के निशान पर... नंबर 1 सब कुछ तो तुम कह देते हो कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों हमें तुम...

Posted by Mohan Thanvi on Wednesday 1 May 2024

आज फिर 5 सवाल कुलबुला रहे उंगली के निशान पर... नंबर 1 सब कुछ तो तुम कह देते हो कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों हमें तुम...

Posted by Mohan Thanvi on Wednesday 1 May 2024
हमने मतदान कर दिया। आप भी मतदान अवश्य करें।
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अभाव और खुशहाली के दरमियान जी रहे 140 करोड़ लोगों की उम्मीद हैं 5 साल

- मोहन थानवी

बीते दिनों एक आंकड़ा सामने आया, जिसके मुताबिक हमारे भारत में 40 करोड़ से अधिक लोगों ने एक तय सीमित अवधि में हवाई यात्रा की। एक और आंकड़ा बार-बार उछाला जाता है और वह आंकड़ा है 80 करोड लोगों का। जिन्हें सरकार द्वारा प्रतिमाह तय मात्रा में मुफ्त राशन दिया जा रहा है। कैसी विडंबना है इन आंकड़ों में ! 140 करोड लोगों में से 40 करोड़ हवाई यात्रा करते हैं तो 80 करोड़ को उदरपूर्ति के लिए सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है !! 

  यह संभावना भी दिखाई देती है कि हवाईयात्रा करने वालों की वास्तविक संख्या 25 - 30 करोड की हो जो और इनमें से कुछ लोग बार-बार यात्रा करते हों। जिससे हवाई यात्रा करने वालों का आंकड़ा 40 करोड़ से ऊपर अंकित हुआ है। खैर यह तो अच्छी बात है की करोड़ों लोग हवाई यात्रा कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही संभावना 80 करोड़ लोगों के प्रति भी व्यक्त की जानी चाहिए की इनमें से पर्याप्त संख्या लोग धीरे-धीरे संबल प्राप्त कर स्वतः ही सरकार से मुफ्त राशन लेना बंद कर दें। यदि ऐसा हो जाए तो सरकार का यह दावा भी सच मानना चाहिए की 25 करोड लोगों को गरीबों की रेखा से बाहर निकाला गया है। 

लेकिन इन आंकड़ों दूसरा पहलू यह है कि हम कुल 140 करोड लोगों में से 100 करोड़ ऐसे हैं जो हवाई यात्रा नहीं कर पाते। बल्कि रेल बस यात्रा के लिए भी हमें परेशानी झेलते कतारबद्ध होना पड़ता है। और सरकार है की कोरोना काल से पहले रेल यात्रा में वरिष्ठ नागरिकों सहित विभिन्न विशिष्ट वर्ग के पात्र लोगों को दी जाने वाली रियायत भी वापस शुरू नहीं कर रही है। जबकि वर्तमान में कोरोना काल का केवल नाम रह गया है। सरकार एवं सामाजिक क्षेत्र के तमाम लोग अपने-अपने संबंधित कार्यों में पूर्ववत संलिप्त हो गए हैं। नई योजनाएं भी क्रियान्वित हुई है। नए कानून भी बन रहे हैं। चुनाव भी हो रहे हैं। परीक्षाएं भी हो रही हैं। यात्राओं के लिए हवाई और रेलमार्गों का विकास भी उत्साहित करता है। लेकिन सरकार रेल यात्रा में संबंधित पात्र लोगों को किराए में रियायत देने से कतरा रही है। 

 सामान्य रूप से रेल यात्रा का तो यह हाल है की दो दो तीन-तीन महीने पहले तय कार्यक्रम के अनुसार टिकट आरक्षित करवाने पर ही रेल यात्रा सरल सुगम सुलभ हो सकती है। जबकि आकस्मिक यात्रा के लिए परेशानियां झेलनी पड़ती है और यात्रा शुल्क भी किसी न किसी तरह से हमें अधिक वहन करना पड़ जाता है।  

उन यात्रियों की ओर भी हमारी नजर जाना लाजमी है जो अपने निजी वाहनों से यात्रा करते हैं। हालांकि देश में करोड़ों की संख्या में वाहन है लेकिन लंबी दूरी की यात्रा निजी वाहनों से करने वालों की संख्या कितनी होगी इसका आंकड़ा फिलवक्त तक सामने नहीं है। 

कमोबेश यह कह ही सकते हैं कि जो हवाई यात्राएं करने वाले लोग हैं उनके पास तो निश्चित रूप से अपने वाहन लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपलब्ध होंगे ही। ऐसे में एक मोटा आंकड़ा 100 करोड़ लोगों का सामने आ खड़ा होता है जो रोटी कपड़ा और मकान के साथ-साथ जीवन की आवश्यक सुविधाओं संसाधनों का अभाव महसूस करते हुए जी रहे हैं। जी हां, हम 100 करोड लोग अभाव और खुशहाली के बीच का जीवन जी रहे हैं। विडंबना यह है कि हमारे भारत में 100 करोड़ के नजदीक पहुंचते आंकड़े उन मतदाताओं के भी हैं जो क्रमशः पांच-पांच वर्ष के लिए अपना भविष्य संवारने की जिम्मेदारी देते हुए सरकार चुनते हैं। 

यह चिंतनीय स्थिति है की जितनी संख्या सरकार चुनने वाले मतदाताओं की है लगभग उतने ही लोग अभाव और खुशहाली के दरमियान जी रहे हैं। हां, यह सच है कि हम सभी 140 करोड लोगों का स्वप्न और संकल्प यह है कि हम आने वाले दो दशक में आजादी के 100 साल पूरे होने तक समृद्धि के दायरे में प्रवेश कर चुके हों। यह तो सर्वमान्य है कि इसके लिए कड़े परिश्रम और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। हमारी वोट की शक्ति से चुनी हुई सरकार ही तो योजनाओं के मुताबिक कार्य कर राष्ट्र उन्नति का पथ प्रशस्त करती रही है। और आगे भी ऐसा ही होता रहेगा। बस फर्क इतना ही है की सरकार चलाने वाले किस विचारधारा से और किसी लक्ष्य से हमारे राष्ट्र को और हम 140 करोड लोगों को खुशहाली की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। 

इस चुनावी काल में भारत के हम सभी लोग अभाव और खुशहाली की दरमियानी जिंदगी जीते हुए आने वाले 5 सालों को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। यह 5 साल हमारे 2047 तक विकसित भारत निर्माण के संकल्प - स्वप्न को साकार करने वाले नींव के साल होंगे। 

आइए, हम सभी मिलकर प्रयत्न करें और प्रार्थना भी करें कि 4 जून को मतगणना के परिणाम स्वरूप हमें वह सरकार मिले जो हम सभी के संकल्पों और सपनों को साकार करने में सक्षम हो। हमारे भारत को विश्व में शीर्ष तक पहुंचाने की इच्छा शक्ति भी रखती हो। हम शत-प्रतिशत मतदान करें, सही सरकार चुनें। ऐसा करनेसे ही हम अभावों से छुटकारा पाते हुए खुशहाली की ओर बढ़ सकेंगे। 

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