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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गुणवत्ता संचलन, योग-व्यायाम का किया प्रदर्शन





















राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गुणवत्ता संचलन, योग-व्यायाम का किया प्रदर्शन

बीकानेर। अयोध्या में श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर रविवार को पुष्करणा स्टेडियम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बीकानेर द्वारा गुणवत्ता संचलन, योग, व्यायाम का प्रदर्शन किया गया। मुख्य वक्ता मंगेशजी मेंडे, अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख तथा मुख्य अतिथि ओमप्रकाश पासवान, टेकचंद बरडिय़ा, विभाग संघ चालक बीकानेर, कन्हैयालाल पांडे संघचालक बीकानेर महानगर रहे।

 मंगेशजी ने कहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ 98 वर्षों से राष्ट्रीय उत्थान व समाज जागरण का कार्य कर रहा है। आज सम्पूर्ण विश्व संघ को वृहद संगठन के रूप में स्वीकारता व मानता है। संघ को समझने के लिए संघ की पृष्ठभूमि को जानना आवश्यक है। इतिहास पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होगा कि देशभक्त दो प्रकार के होते हैं- पहला जन्मजात देशभक्त व दूसरा परिस्थितिवश देशभक्त बनना। शिवाजी की भांति डॉ. श्री केशवराव बलिराम हैडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। आठ वर्षीय बालक केशव विद्यालय में वितरित प्रसाद का कारण जानकर दुखी हुए कि घोंसले महाराज का राज छीनने वाले अंग्रेज महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण की वर्षगांठ प्रसन्नता में शामिल होने प्रसाद बांटना दुर्भाग्यपूर्ण। 11 वर्षीय बालक केशव के माता-पिता का निधन होने पर भी पथ से विचलित नहीं होना, विद्यालय में प्रतिबंध के बाद भी निरीक्षक का स्वागत वन्दे मातरम से करना व इसके लिए विद्यालय से निष्कासन स्वीकारना। पूना जाकर परीक्षा उत्तीर्ण करना। देशभक्ति के ज्वार के कारण कोलकाता जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई के बहाने क्रांतिकारियों के साथ काम करना। अनुशीलन समिति में शामिल होना। डॉक्टर की नौकरी तीन सौ रुपए मासिक मिलने पर रंगुन न जाकर देश सेवा का संकल्प लिया। 1925 में संघ की स्थापना से पूर्व लगभग दस वर्षों तक गहन चिन्तन किया तथा विवेकानन्द के विचार संस्कारवान चरित्रवान देशभक्त तैयार करने व भगिनी निवेदिता के विचार प्रतिदिन सामूहिक आने को शामिल करने का विचार कर प्रतिदिन एक घंटे की नित्य शाखा की अभिनव पद्धति दी। संघ समाज की उपेक्षा के बाद भी आगे बढ़ा। धीरे-धीरे स्वीकारता व सहयोग प्राप्त करने में सफल रहा। संघ पर 1948 व 1975 में मिथ्या आरोप व कुचलने के प्रयास तत्कालीन सत्ता द्वारा किए गए परन्तु समाज तब तक संघ के कार्य व शक्ति को जान चुका था। 1948 में 77000 स्वयंसेवकों व 1975 में सवा लाख स्वयंसेवकों के जेल भरने से सरकार घबराई व प्रतिबंध हटा। संघ ने संतों-महात्माओं के माध्यम से अयोध्या स्थित राम मंदिर के स्थान पर विवादित ढांचे को हटाने का अभियान शुरू किया। 500 वर्षों की प्रतीक्षा व 77 युद्धों में सैकड़ों बलिदानों के बाद आज असंभव लगने वाला कार्य साकार होकर राम मंदिर बना। सोमवार 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापना हो रही है। संघ ने छुआछूत समाप्त करने हेतु सतत प्रयास किया। यूपी में संतों के मुख से हिन्दवा सहोदरा सर्व का उद्घोष श्री गुरुजी द्वारा करवाना तथा स्वयंसेवकों से सतत प्रयास करवाना। पर्यावरण उत्थान व संरक्षण हेतु प्रयास करना। हजारों वृक्षों को लगवाना गांव-गांव में अभियान चलाकर पौधरोपण करवाना संघ का अतुलनीय कार्य रहा। संघ किसी भी मत, पंथ का विरोधी नहीं है। परन्तु धर्मान्तरण, राष्ट्रद्रोह का विरोध करता है। हमारा उद्देश्य चरित्रवान देशभक्त तैयार करना व लक्ष्य भारत माता की जय है। जैसे राम मंदिर का कार्य हुआ वैसे ही भारत श्रेष्ठ राष्ट्र बने, सम्पूर्ण विश्व में वन्दनीय बने। इसके लिए ज्येष्ठ, श्रेष्ठ योग्य समाज से सहयोग का प्रयास संघ कर रहा है। समाज के सहयोग से ही कार्य संभव होगा।


इस अवसर पर मुख्य अतिथि आईजी ओमप्रकाश पासवान ने संघ कार्य की सराहना की। कार्यक्रम के अंत में हनुमान चालीसा पाठ व रामजी की महाआरती हुई। समाज से पधारे बंधु, मातृशक्ति व समाज के अनन्य लोगों के सहयोग के लिए महानगर संघ चालक कन्हैयालालजी ने आभार व्यक्त किया।

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