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चुनाव / पर्दे के पीछे : अदृश्य टिकट कॉपीयर्स-पब्लिशर्स की समस्या विकट !! दलों पर नाम-संकट !













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*खबरों में बीकानेर*


चुनाव / पर्दे के पीछे : अदृश्य टिकट कॉपीयर्स-पब्लिशर्स की समस्या विकट !! दलों पर नाम-संकट !

- मोहन थानवी, स्वतंत्र पत्रकार




राजनीतिक दल आचार संहिता लागू होने के 10 दिन बाद तक भी अपने-अपने क्षेत्र की सभी सीटों के लिए अंतिम नाम चयन नहीं कर सके। और टिकट किसे मिलेगी यह अब तक भविष्य में है। राजनीतिक दलों के लिए भी नाम चयन का संकट बरकरार दिखाई दे रहा है। यह पर्दे के सामने वाली बात है। और उस समस्या का मूल भी यही है जिसके बारे में हम यहां बात करने जा रहे हैं।


 पर्दे के पीछे की बातें भी कुछ लोग जानते हैं। बाजार में भी कुछ उद्यमी जान चुके होंगे। दरअसल पर्दे के पीछे बहुत हलचल है। राजनीतिक शख्सियतों में भी और कॉपीयर्स-पब्लिशर्स में भी। असल में इनमें बहुत हलचल है। पब्लिशर्स के साथ- राजनीतिक दलों के टिकट पाने के आकांक्षियों और उनके समर्थकों के लिए भी यह बड़ी गंभीर समस्या है जो अब तक टिकट फाइनल न होने के कारण सामने आ चुकी है। उधर, मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है। यानी प्रचार के लिए महत्वपूर्ण समय निकलता जा रहा है।


 इसे लेकर टिकट के दावेदार अपने प्रचार कार्य को कैसे गति दे इस पर तनाव में है। तो दूसरी ओर इनके प्रचार के लिए पर्चियां छापना पोस्टर बनाना बैनर बनाना दीवार लेखन और नियमानुसार प्रशासन से अनुमति प्राप्त करना आदि अनेकों कार्यों के लिए कॉपीयर्स और पब्लिशर्स भी तनाव में हैं। यूं समझिए कि उनके लिए एक तरह से एक ऐसी पर्ची तैयार पड़ी है जिस पर नाम ही अंकित नहीं है और उनको नाम अंकित होते ही उसे लाखों में छापना अथवा प्रतिलिपियां बनाना बाकी है।


 यूं अनुमानतः हम कह सकते हैं कि एक-एक नाम के प्रचार के लिए पर्ची विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या के आधार पर कम से कम डेढ 2 लाख तो छापनी/कॉपी बनानी होगी ही। एक प्रत्याशी के लिए इतनी पर्चियों को छापना वह भी एक क्षेत्र में, जबकि जहां दो या दो से अधिक प्रत्याशी है तो वह संख्या उतनी ही गुणात्मक रूप से बढ़ जाएगी।


 साथ ही समयाभाव के कारण तनाव और परेशानी भी। कम समय में इतना अधिक कार्य संपादित करना दिन-रात एक करने के बराबर होगा और इसी समस्या को लेकर इस काम से जुड़ चुके कॉपीयर्स और पब्लिशर्स तनाव में दिखाई देने लगे हैं। एक ऐसे कॉपीयर्स के बारे में भी हमने सुना जिसने लाखों की तादाद में अपने हिस्से के कार्य को करने के लिए अपने संसाधन बढ़ा लिए लेकिन अभी तक उन तक वह फाइनल नाम ही नहीं पहुंचा जिसे लेकर वह पर्चियां पोस्टर या अन्य प्रचार सामग्री तैयार करके उसकी कॉपियां बनाएं अथवा पब्लिशर्स उसे छापे।

 ऊपर से रोजाना 2-2 /3-3 घंटे के लिए बिजली आपूर्ति बाधित रहने की समस्या भी सामने है। 

 



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