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जीवन में दो सूत्र अपनाओ, पुण्य बढ़ाओ-पुण्य बचाओ
आचार्य विजयराज का भीनासर विहार गुरुवार को
सांड नवकार पौषद्यशाला में महामंगलिक, महावीर भवन में दिया सद्ज्ञान
जीवन में दो सूत्र अपनाओ, पुण्य बढ़ाओ-पुण्य बचाओ
बीकानेर। श्री शान्त - क्रान्ति जैन श्रावक संघ के १००८ आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.बीकानेर चातुर्मास संपन्न करने के बाद पीपलिया कलंा की ओर प्रस्थान शुरू हो चुका है। बीकानेर से विहार करने के बाद बुधवार को आचार्य श्री ने गंगाशहर में ही स्थित नवरतन सांड द्वारा समर्पित सांड नवकार पौषधशाला- भवन में विराज कर श्रावक-श्राविकाओं को महामंगलिक दी एवं रात्रि का विश्राम, सत्संग , सामायिक और धर्मचर्चा श्रावकों से की। महाराज साहब की आज्ञानुवर्ती महासती वृन्द का और मुनि जनों का विहार आचार्य श्री से आगे- आगे बढ़ रहा है। बुधवार सुबह महाराज साहब ने पुरानी लाइन रोशनी घर के पीछे महावीर भवन में बीकानेर-गंगाशहर-भीनासर त्रिवेणी संगम को व्या2यान देते हुए जीवन में सफल बनने के तीन सूत्र बताए। साथ ही उनकी विस्तारपूर्वक व्या2या की। महाराज साहब ने कहा कि पुण्य का नाश कब होता है, जब हमारे भीतर किसी के प्रति द्वेष का भाव पैदा होता है। इससे हमारी प्रसन्नता और पवित्रता भी नाश हो जाती है। महाराज साहब ने बताया कि ज्ञानीजन कहते हैं कि हमें किसी के प्रति द्वेष का भाव नहीं रखना चाहिए। जीव मात्र से प्रेम करने पर हमारे पुण्य का विकास होता है और इसी विकास से पवित्रता और प्रसन्नता का प्रादुर्भाव हो जाता है। लेकिन आज हम विद्वेष का भाव लेकर चलते हैं। द्वेष से नफरत और नफरत से घृणा का भाव पैदा होता है। इसलिए हमें किसी से नफरत, घृणा और द्वेष नहीं रखना चाहिए। बैर- विरोध, द्वेष- 1लेष और प्रतिस्पद्र्धा में कोई भी व्य1ित जीवन को सफल नहीं बना सकता।
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