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भक्ति में दिखावे की बजाय भाव निर्मल जरूरी - साध्वीश्री मृगावती

भक्ति में दिखावें की बजाए भाव निर्मल जरूरी-साध्वीश्री मृगावती

बीकानेर, 18 सितम्बर। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में भक्तामर प्रसारिका, महत्तरा पद से विभूषित साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में चल रहे 22 दिवसीय श्री भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान के छठे दिन रविवार को भक्तामर स्तोत्र की 13 व 14 वीं गाथा का अभिषेक व पूजन किया गया। पूजा व प्रभावना का लाभ सुश्रावक सुन्दरलाल सेठी, हस्तीमल व प्रदीप सेठी परिवार ने लिया।
साध्वीश्री मृगावतीश्री ने प्रवचन कहा कि परमात्मा को अनन्य अंतर व आत्मभाव और भक्ति भाव से देखने के बाद किसी दूसरे को देखने ईच्छा नहीं होती। सारे शुद्ध परमाणु व तरंगें परमात्मा प्रस्फुटित करते हैं। भक्त अपनी भाव व भक्ति के अनुसार तरंगों को ग्रहण कर सुख,शांति व परम आनंद की प्राप्ति करता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा की निष्काम भक्ति व महापुरुषों के पास बैठने से जो आत्मशांति मिलती है वह सुखकारी,मंगलकारी, शांति, सुख व समृद्धिकारी होती है।

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