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महामंगलिक कार्यक्रम में उमड़ा जन सैलाब, आचार्य श्री चातुर्मास के लिए शुक्रवार सुबह करेंगे नगर प्रवेश


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१००८ आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. के महामंगलिक कार्यक्रम में उमड़ा जन सैलाब,
आचार्य श्री चातुर्मास के लिए शुक्रवार सुबह करेंगे नगर प्रवेश,
बीकानेर। रानी बाजार इण्डस्ट्रीयल एरिया स्थित सुराणा स्वाध्याय भवन में गुरुवार सुबह सैंकड़ो श्रावक-श्राविकाओं की भारी भीड़ मौजूद रही, हर कोई श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के आचार्य प्रवर १००८ श्री विजयराज जी महाराज साहब के ग्यारह दिन के मौन व्रत पूर्ण होने तथा उनके दर्शन पाने की प्रतिक्षा में आतुर दिखाई दिया। इस मौके पर भारी भीड़ के बावजूद जब तक आचार्यश्री का मौन व्रत पूर्ण ना हुआ पूरे क्षेत्र में सन्नाटा सा पसरा रहा। कहीं कुछ सुनाई दे रहा था, तो वह था, वातावरण में पक्षियों का कलरव और दूर कहीं पर चलती हुई गाडिय़ों का शौर ही सुनाई दे रहा था। आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.ने गुरुवार सुबह ग्यारह दिन के बाद २७७ घण्टे का अपना मौन व्रत पूरा किया। व्रत पूर्ण होने के साथ ही पूरे वातावरण में एक स्वर में हर्ष-हर्ष, जय-जय का उद्घोष गूंजायमान हो गया। अवसर था आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब के बीकानेर में चातुर्मास से पूर्व सुराणा स्वाध्याय भवन में महामंगलिक कार्यक्रम का, जहां आचार्य श्री ने अपना मौन व्रत पूर्ण करते ही सर्वप्रथम ग्यारह बार नवकार महामंत्र का वाचन किया। तत्पश्चात आचार्य श्री ने आगम की भाषा में जिनवाणी, नमोत्थाणम और लोगस्य पाठ का उद्घोष किया और महामंगलिक का कार्यक्रम हुआ । इस अवसर पर आचार्य श्री विजयराज महाराज साहब ने मौन का महत्व बताते हुए कहा कि आत्मा की शुद्धी के लिए और मन में आ रहे कषायों को दूर करने के लिए मौन की आवश्यकता होती है। मौन की साधना करने से व्य1ित अपने मन के विकारों को दूर कर सकता है। उसमें स्वाध्याय करने का सामथ्र्य पैदा होता है। मौन का उदाहरण देते हुए महाराज साहब ने कहा कि पंछी को शिकारी कभी नहीं पकड़ पाता अगर उसके पैर ना होते, पंछी के पैर जाल में फंसते हैं और वह पकड़ा जाता है। इसी प्रकार आदमी को कोई नहीं पकड़ सकता अगर वह बोलने में संयम रखे, आदमी बोलने में संयम खोता है और वह मारा जाता है। इसलिए संयम की भाषा होनी चाहिए और जहां तक हो सके मितभाषी बनने का प्रयास करना चाहिए। बीकानेर में चातुर्मास को लेकर आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने कहा कि मंगल ही मंगल छाएगा, जो निज पुरुषार्थ जगाएगा, उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ के बगैर मंजिल की प्राप्ति नहीं होती है। यह मैंने स्वयं महसूस किया है। इसलिए पुरुषार्थ करना जरूरी है।
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ केकार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रचार मंत्री विकास सुखाणी ने बताया कि इससे पूर्व महाराज साहब की आज्ञानुवर्तिनी महासती वृन्द एवं संतो ने धर्म तथा मौन के महत्व पर अपने भावों के उद्गार व्य1त किए। कार्यक्रम में जैन समुदाय के गणमान्य संघ व लोगों की उपस्थिति में धर्मसभा व महामंगलिक में रही। कार्यक्रम के पश्चात सोनावत परिवार की ओर से रानी बाजार स्थित भोमिया भवन में सामूहिक गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया। जिसमें बीकानेर के सभी समाज के लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। महाराज साहब के दर्शनार्थ एवं महामंगलिक के कार्यक्रम में बीकानेर सहित लुधियाना, दिल्ली, नोखा, नागौर, उदयपुर, कोलकाता, अजमेर,4यावर सहित अनेक स्थानों से श्रावकों के संघ उपस्थित हुए।
श्री शान्त-क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि श्रीविजयराज जी महाराज साहब शुक्रवार सुबह ९ बजे रानी बाजार इण्डस्ट्रीयल एरिया स्थित सुराणा स्वाध्याय भवन से विहार कर चातुर्मास के लिए नगर प्रवेश करेंगे। महाराज साहब सेठ धनराज ढढ्ढा की कोटड़ी में चातुर्मास के लिए पधारेंगे,जहां श्रावक संघ की ओर से नित्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।





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