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“निजी, सार्वजनिक और सहकारी क्षेत्र में उद्यमिता विकास के साथ साथ नौकरी के पर्याप्त अवसर” कुलपति प्रो आर.पी. सिंह
कृषि शिक्षा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
कृषि महाविद्यालय बीकानेर
“निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और सहकारी क्षेत्र में उद्यमिता विकास के साथ साथ नौकरी के पर्याप्त अवसर” कुलपति प्रो आर.पी. सिंह
बीकानेर, 03 दिसम्बर। कृषि महाविद्यालय बीकानेर में कृषि शिक्षा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के बारें में अधिष्ठाता डॉ. आई.पी. सिंह बताया की आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर ने संबोधित किया। कुलपति प्रो. सिंह ने बताया की स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के जन्मदिन का स्मरण करते हुए प्रति वर्ष देश भर में 03 दिसंबर को पूरे जोश और उत्साह के साथ कृषि शिक्षा दिवस मनाते है। कृषि शिक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य छात्रों को कृषि के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागृत करना है। कोरोना काल सभी उद्योग धंधों पर विपरित प्रभाव पड़ा लेकिन कृषि ने देश की अर्थव्यवस्था को संभाले रखा। युवा कृषि क्षेत्र में रूचि भी ले रहे हैं यह बेहतर भविष्य के सुखद संकेत है। कृषि एक विशाल विषय है। इसमें फसलों, पशुपालन, मृदा विज्ञान, बागवानी, डेयरी विज्ञान, विस्तार शिक्षा, रसायन विज्ञान आदि शामिल है। किसानों व कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए कृषि शिक्षा का बड़ा महत्व है। कृषि का क्षेत्र महत्वपूर्ण व विविधताओं से परिपूर्ण है। यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी खास है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी कृषि क्षेत्र में रोजगार पाती है। उत्पादन की दृष्टि से भी यह सबसे बड़ा क्षेत्र है। कृषि क्षेत्र की उपलब्धियों में किसानों का परिश्रम, उनकी दृष्टि व पूंजी का अतुल्य महत्व है, वहीं आज की परिस्थितियों में कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान व सरकार की कृषि हितैषी नीतियों का भी बड़ा योगदान है। इनके कारण भारत आज खाद्यान्न में आत्मनिर्भर है और अन्य क्षेत्रों में भी अच्छा स्थान बनाने में सफल हुआ है। नई शिक्षा नीति - समयानुकूल, रोजगारोन्मुखी, कृषि में उत्पादकता बढ़ाने वाली, तकनीक का प्रवेश कराने वाली तथा वैश्विक मापदंडों के अनुरूप है। नई शिक्षा नीति में ज्ञान के साथ-साथ कौशल और रोजगार के समाहित हैं। सरकार की दूरगामी सोच के कारण ही कृषि शिक्षा के क्षेत्र में हमारा प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है। इस वर्ष प्रदेश में बड़ी संख्या में नए कृषि महाविद्यालय प्रारम्भ किए गए हैं। सरकार , मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में प्रयत्नशील है। गांवों, किसानों व गरीबों के विकास हेतु कृत संकल्पित सरकार ने अपनी कार्य-योजनाओं को जमीन पर उतारा है। राजकीय कृषि महाविद्यालय मण्डवा (झुंझुनू), चांदगोठी (चुरू) एवं हनुमानगढ़ , आज की तारीख पूर्ण रूप से कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा श्रीगंगानगर में बिजनेस मैनेजमेंट कॉलेज भी इसी साल प्रारंभ किया गया है। यह कृषि विश्वविद्यालय, राज्य का सबसे पुराना कृषि विश्वविद्यालय है। यहां के विद्यार्थी देश और दुनिया में विश्वविद्यालय का परचम फहरा रहे हैं। आने वाले समय में भी अधिक से अधिक युवाओं को इस संस्थान में अध्ययन करने के अवसर मिले, इसके मद्देनजर राज्य सरकार कृत संकल्प है और विश्वविद्यालय के संस्थागत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार के प्रयास है की कृषि शिक्षा के द्वारा एवं व्यापार एवं स्वरोजगार के माध्यम से गरीबी उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ा जाये । आज कई बड़े-बड़े सार्वजनिक, निजी और सहकारी संगठन- पेशेवर, सक्षम और प्रशिक्षित ‘कृषि-विशेषज्ञ और प्रबंधक’ तलाश रहे हैं। निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और सहकारी क्षेत्र में उद्यमिता विकास के साथ साथ नौकरी के पर्याप्त अवसर हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ वी एस आचार्य ने किया। उपस्थित समस्त शिक्षकों व छात्रों ने कोविड गाईडलाइन्स यथा मास्क व उचित दूरी का पालन किया।
C P MEDIA
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