पेड़ फिर शाखाहीन होने लगा है.... देखते हैं चुपचाप हालात .... पेड़ फिर शाखाहीन होने लगा है.... जिसे ठूंठ समझते…
Mohan Thanvi Shri Alam Husain Sindhi फोटोग्राफी आज मीडिया का प्रमुख अंग है। कहते हैं तस्वीर टैक्स्ट न्यूज स…
फिर से बचपन पा जाना... फिर से बचपन पा जाना... होंठों पर टपकी बरसात की बूंदों को अपने में समेट लेना बादल सं…
दीर्घकालिक यात्रा को सूक्ष्म बना देने वाली शक्ति का अस्तित्व अनचाहे, अनहोनी, अकस्मात आदि क्या है! ये भी कर्म से…
मानता नहीं दिल । सच । सच । दिल दिल्ली पुस्तक मेले में है। हम अपने को वहां नहीं ले जा सके । गढ़ने को बहाने चार छह…
इसे माया कहें...! या... मंथन करें...!!! भीतर के द्वन्द्व और उमड़ते विचारों को षब्दाकार देना अज्ञान को दूर करने के…
आज फिर 5 सवाल कुलबुला रहे उंगली के निशान पर... नंबर 1 सब कुछ तो तुम कह देते हो कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों हमें तुम...
Posted by Mohan Thanvi on Wednesday 1 May 2024
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