712 ई मेँ सिँध की नारीशक्ति का सँघर्ष जब ब्राह्मण राजा दाहर युद्ध के मैदान मेँ था तब सिँध के क्या हालात थे…?…
रेत का जीवन रेत का भी जीवन है अपना संसार है समाई धूप की गर्मी है आसपास बिखरे कांटे हैं कहीं रेत पर गुलिस्तां बने कही…
सिंधी नाटक जांबाज़ धीअरु : सूर्य परमाल - Mohan Thanvi सीन 1 कासिम जो दरबार सूत्रधार: दाहरसेन जो सिन्धु जे लाय…
ये रास्ते हैं जीवन के... पुल से स्टेशन विहंगम दिखा । तीनों प्लेटफार्म मानो छू सकता था । वहां गाड़ी की प्रतीक्षा में …
एक ताबीज देते वो और कहते हैं भिगोना बारिश/आंसुओं में अहंकार/पाप धुल जायेगा !
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