पहाकनि जी बरसाति। अजु तव्हांखे पहाकनि में बरसाति जी गाल्हियूं था बुधायूं। असांजो मकसद सिन्धु भाषा, बोली ऐं संस्कृति…
अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर आज नहीं, प्राचीन काल से कहा जाता है, छोटे मुंह बड़ी बात। इसका प्रचलन बने रह…
अच्छी भई, गुड़ सत्तरह सेर आज का युग बाजारवाद से घिरा है। भाव-भंगिमाएं तो बिकती ही रही हैं। यहां भावनाएं भी बिकने लग…
... दूसरे ग्रह के प्राणी इस धरा पर आते थे ? एलियन... ? दूसरे ग्रह के प्राणी इस धरा पर आते थे ? ? ? जिन्हें हम आज ए…
बीकानेर का आकाश रंगबिरंगी पतंगों से घिरा गुनगुनाता है जिसे हर शख्स वो एक गजल है मेरा नगर ...! चंदा महोत्सव का आनंद…
प्रलाप मित्र... अक्सर ख्वाबों में तुम्हें देखने की कोशिश की... कहां थे तुम ... जब नींद मुझे दुनिया से विलग करने का…
आज फिर 5 सवाल कुलबुला रहे उंगली के निशान पर... नंबर 1 सब कुछ तो तुम कह देते हो कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों हमें तुम...
Posted by Mohan Thanvi on Wednesday 1 May 2024
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