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फिर सो ना जाना

समकालीन चूहे और लोहे की तराजू

साजिश और सादगी

रोने से रोज़ी नहीं बढ़ती

रोने से रोज़ी नहीं बढ़ती

No title

No title

कूचु ऐं शिकस्त...1300 साल पहले...

... सौदा कर नफा हो

रब वसदा उस घर ...

काटा और उलट गया

आप से गया तो जहान से गया

शब्द तेरे लिए हैं अपने मायना खुद लगा मेरे या किसी और के अर्थ किताबों से बाहर आ भी जाएं तो क्या तेरे लिए तो वो तब तक शब्द ही होंगे जब तक तेरे मायना न होंगे

तिनके की चटाई नौ बीघा फैलाई

अजब कीमियासाज ...

No title

पांच रुपए की दीर्घ कथा

लकीरें ...आंखें ...अनंत

लकीरें ...आंखें ...अनंत

भासा अ’र देस री बात्यां कागद माथै उकेर आजादी री अलख जगाई / राजस्थानी उपन्यास *कुसुम संतो* से

भासा अ’र देस री बात्यां कागद माथै उकेर आजादी री अलख जगाई / राजस्थानी उपन्यास *कुसुम संतो* से

eid mubaraq ईद मुबारक

मां, रोटी भी क्यों गोल !

तितली बन पंख लगा ...

Life...