शब्द तेरे लिए हैं अपने मायना खुद लगा मेरे या किसी और के अर्थ किताबों से बाहर आ भी जाएं तो क्या तेरे लिए तो वो तब तक शब्द ही होंगे जब तक तेरे मायना न होंगे
Bahubhashi बहुभाषी 12/07/2012 06:19:00 PM
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शब्द तेरे लिए हैं
अपने मायना खुद लगा
मेरे
या
किसी और के अर्थ
किताबों से बाहर
आ भी जाएं तो क्या
तेरे लिए तो वो
तब तक शब्द ही होंगे
जब तक
तेरे मायना न होंगे
विचारों और भावनाओं को शब्द देने का प्रयास करता हूं
हिंदी, सिंधी और राजस्थानी भाषा में उपन्यास, नाटक, कहानियां, कविताएं लिखी हैं।
पत्रकारिता से जीवनयापन, ब्लॉगर हूं, अखबारों के लिए लिखता हूं।
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