नवंबर 21, 2010 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप में और मेरा सर्जन ----- जिस दर पे कभी ताला न लगा ऐ खुदा वो ही अपना घर देना ओरो की क्या बात करू में नादान सुबह ही अखबार में पढ़ा .... मंदिर में चोरी हो गई..... टिप्पणियाँ mohan thanvi31 दिसंबर, 2010 16:49जीवन का श्रम ताप हरो हे!सुख सुषुमा के मधुर स्वर्ण हे!सूने जग गृह द्वार भरो हे!लौटे गृह सब श्रान्त चराचरनीरव, तरु अधरों पर मर्मर,करुणानत निज कर पल्लव सेविश्व नीड प्रच्छाय करो हे!उदित शुक्र अब, अस्त भनु बल,स्तब्ध पवन, नत नयन पद्म दलतन्द्रिल पलकों में, निशि के शशि!सुखद स्वप्न वन कर विचरो हे!(सुमित्रानंदन पंत )जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंUnknown18 मार्च, 2011 08:10sundar hai... जिस दर पे कभी ताला न लगाऐ खुदा वो ही अपना घर देना... badhiya.जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें write views
जीवन का श्रम ताप हरो हे!
जवाब देंहटाएंसुख सुषुमा के मधुर स्वर्ण हे!
सूने जग गृह द्वार भरो हे!
लौटे गृह सब श्रान्त चराचर
नीरव, तरु अधरों पर मर्मर,
करुणानत निज कर पल्लव से
विश्व नीड प्रच्छाय करो हे!
उदित शुक्र अब, अस्त भनु बल,
स्तब्ध पवन, नत नयन पद्म दल
तन्द्रिल पलकों में, निशि के शशि!
सुखद स्वप्न वन कर विचरो हे!
(सुमित्रानंदन पंत )
sundar hai... जिस दर पे कभी ताला न लगा
जवाब देंहटाएंऐ खुदा वो ही अपना घर देना... badhiya.