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बचतशास्त्र और अर्थशास्त्र : सोलर ऊर्जा क्षेत्र में होगा नया 'सूर्योदय'





















चिंतन
बचतशास्त्र और अर्थशास्त्र : सोलर ऊर्जा क्षेत्र में होगा नया 'सूर्योदय'

प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना बिजली बचत क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। घरेलू और सरकारी व निजी दफ्तर में अगर रोशनी के लिए सोलर ऊर्जा का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगे तो लाखों मेगावाट बिजली की बचत हो सकती है। भारत सरकार ने 'प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना' की सोमवार को शुरूआत की है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर में एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाएगी। भारत में लगभग 31 करोड़ परिवार हैं, शुरू में सरकार ने एक करोड़ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के घर में सोलर सिस्टम लगाने का फैसला किया है। इस योजना को बहुत पहले शुरू किया जाना था। अभी केंद्र सरकार सोलर एनर्जी से जुड़ी योजना 'नेशनल रूफटॉप स्कीम' चला रही है। इस योजना के तहत अगर आप अपनी छत पर सोलर पैनल लगाना चाहते हैं तो 3 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगाने पर सरकार की ओर से 40 फीसदी सब्सिडी (प्रति किलोवाट 14,588 रुपये) दी जाती है। रूफटॉप सोलर योजना फेज-2 के तहत 30 नवंबर 2023 तक देश में रूफटॉप सोलर से 2,651 मेगावाट क्षमता को स्थापित किया जा चुका है। रूफटॉप योजना के सेकेंड फेज को 31 मार्च 2026 तक बढ़ाया गया है। केंद्रीय नवीनीकृत ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने हाल ही में बताया था कि रूफटॉप सोलर कार्यक्रम के दोनों फेज से अभी 10,407 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। अभी गुजरात, केरल व महाराष्ट्र रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने में आगे हैं। सोलर सिस्टम से प्रदूषण नहीं होता, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है व पर्यावरण का संरक्षण होता है। सरकार ने बिजली बल्ब बदल कर एलईडी बल्ब के प्रयोग को बढ़ावा देकर बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाया था। कोल व परमाणु से बिजली उत्पादन व वितरण खर्चीला है। बिजली की दर अभी शहरों में पांच से सात रुपये यूनिट है, जो मध्यवर्ग पर बड़ा बोझ है। अगर देश में घरेलू खपत के लिए सोलर ऊर्जा का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा होने लगे तो बड़े पैमाने पर बिजली की बचत होगी। भारत ऐसा देश है, जहां सूर्य की सीधी रोशनी लगभग साल भर उपलब्ध रहती है, ऐसे में सोलर एनर्जी के लिए भारत का एकदम अनुकूल है। देश में सभी घरों पर जो करीब 31 करोड़ हैं, सभी सरकारी व निजी दफ्तरों, जो करोड़ों में हैं, पर अगर सोलर सिस्टम लग जाए तो बिजली बचत के मामले में क्रांति आ जाएगी। भारत जिस तेजी से वैकल्पिक ऊर्जा की तरफ आगे बढ़ रहा है, उसमें सोलर एनर्जी की भूमिका अहम है। बेशक कांग्रेस ने भारत सरकार की सूर्योदय योजना को एक और जुमला कहा है, लेकिन सोलर एनर्जी योजना की पहली शुरूआत करने में कांग्रेस सरकार की अतीत में भूमिका रही है। वर्तमान की मोदी सरकार तेजी से सोलर एनर्जी पर काम कर रही है। भारत इंटरनेशनल सोलर एलांयस का भी संस्थापक सदस्य है। सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक एनर्जी व हरित हाइड्रोजन भविष्य के ऊर्जा स्रोत हैं। ये समूचे विश्व के एनर्जी स्पेक्ट्रम को बदलने वाले हैं। खास बात है कि भारत इन सभी अल्टरनेटिव एनर्जी स्रोत के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है। भारतवासियों के घर की छत पर उनका अपना सोलर रूफटॉप सिस्टम होना ही चाहिए। छोटे छोटे कदम से बड़े बदलाव होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपने ऐसे ही विजनरी कदमों से देश में बड़े- बड़े बदलाव की पटकथा लिख रहे हैं। डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, जनधन, डीबीटी, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत, किसान निधि, स्वच्छ भारत, हाई-वे, आई- वे, नए एयरपोर्ट, पोर्ट, एलईडी बल्ब, वंदे भारत जैसी हाईस्पीड ट्रेन, रेल ट्रैक आधुनिकीकरण आदि सैकड़ों ऐसी योजनाएं हैं, जिनसे देश परिवर्तन की राह पर है। प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना से सोलर एनर्जी के घरेलू उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसमें बचतशास्त्र भी है और अर्थशास्त्र भी। इससे गरीब और मध्यम वर्ग का बिजली बिल तो कम होगा ही, भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा।

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