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अंग्रेज़ी विभाग, एमजीएसयू ने राष्ट्रकवि को याद किया dinkar


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अंग्रेज़ी विभाग, एमजीएसयू ने राष्ट्रकवि को याद किया

विद्वजनों ने प्रणभंग सहित दिनकर जी के सृजन और कृतित्व पर गर्वोक्ति व्यक्त की 

रामधारी सिंह दिनकर जन-जन के कवि थे 
प्रो0 एस. के. अग्रवाल




 बीकानेर 25 सितम्बर, 2022 
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में 23 September 2022 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म दिवस उल्लासपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर बोलते हुए अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो0 एस.के. अग्रवाल ने कहा कि “दिनकर स्वतंत्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वातं़त्र्योत्तर भारत में “राष्ट्रकवि” के रूप में जाने गये । दिनकर मानव-मात्र के दुःख-दर्द से पीड़ित होने वाले कवि थे। राष्ट्रहित उनके लिए सर्वोपरि था। संभवतः इसीलिए वह जन-जन के कवि बन गए और स्वाधीन भारत में उन्हें राष्ट्र कवि का दर्जा मिला। आश्चर्यजनक रूप से दिनकर ने सबसे पहले एक प्रबन्ध काव्य “प्रणभंग” लिखा। दिनकर द्विवेदी युगीन और छायवादी काव्य पद्धतियों के वारिस थे।





 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने हिन्दी साहित्य में न केवल वीर रस के काव्य को एक नई ऊँचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का सृजन भी किया। इसकी एक मिसाल सम्पूर्ण क्रांति के दौर में मिलती है।”

 अंग्रेजी विभाग में कार्यरत सहायक आचार्य डॉ0 सीमा शर्मा ने कहा कि “दिनकर पहले कवि थे जिन्होंने संस्कृति एवं सभ्यता के अन्तर को बहुत ही सरल एवम् सहज भाषा में व्यक्त किया। दिनकर का मानना था कि सभ्यता वह चीज है जो हमारे पास है, संस्कृति वह गुण है जो हममें व्याप्त है।”





 सहायक आचार्य डॉ0 प्रगति सोबती ने बताया कि दिनकर 12 वर्ष तक संसद सदस्य रहें। तत्पश्चात् उन्हे 1964-65 तक भागलपुर विश्वविद्याल का कुलपति नियुक्त किया गया। 1965 में ही भारत सरकार ने उन्हें अपना हिन्दी सलाहकार नियुक्त किया और वे 1965-1971 तक यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। 

 सहायक आचार्य एवम् लिटरेरी फोरम की संयोजक डॉ0 संतोष कँवर शेखावत ने कहा कि दिनकर जी “वास्तविकता” के कवि थे। उनके अनुसार देवता, मंदिरों, राज प्रसादों एवम् तहखानों में निवास नहीं करते। वास्तविक देवता तो खेतों में, खलिहानों में हल चलाते मिलेंगे, कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ते एवम् फावडे़ चलाते मिलेंगे।

 इस अवसर पर विभाग के छात्र-छात्राओं अंकिता, आरती, सुभाष, मनीष, सुनील, राकेश आदि ने दिनकर पर अपने विचार व्यक्त किये। छात्रों ने दिनकर द्वारा लिखित कविताओं का वाचन किया जिसने सबको राष्ट्रीय जोश भर दिया। इस राष्ट्र र्स्फूत्त भाव ने 1970 के दशक की याद दिला दी जब दिनकर जी इन कविताओं का वाचन संसद में सरकार की त्रृटियाँ सुधार करने हेतु करते थे।

 कार्यक्रम का संचालन एम.ए. अंग्रेजी सेमेस्टर-द्वितीय ट्विंकल कंसल ने किया। धन्यवाद एम.ए. सेमेस्टर-चतुर्थ राजकुमार ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम की शुरूआत दिनकर जी ने चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई।








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