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गौबर और गौ मूत्र गोपालक की आय का जरिया बने - डाॅ.कल्ला

गौबर और गौ मूत्र गोपालक की आय का जरिया बने-डाॅ.कल्ला

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गौबर और गौ मूत्र गोपालक की आय का जरिया बने-डाॅ.कल्ला

बीकानेर,13 जनवरी। ऊर्जा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, कला एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. कल्ला ने कहा कि पशुपालक और गोपालक को आत्मनिर्भन बनाने के लिए सामूहिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गोपालन घाटे का सौदा नहीं है। गौबर और गौ मूत्र का चिकित्सीय उपयोग से गोपालक की आय में वृद्धि की जा सकती है।
डाॅ.कल्ला रविवार को जिला उद्योग संघ कार्यालय के सभागार में राजस्थान गौ सेवा परिषद की ओर से आयोजित प्रदेश स्तरीय समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पचमेड़ा माॅडल को गौशालाओं में लागू किया जाना चाहिए । यहां गौ मूत्र को चिकित्सा क्षेत्र में काम में लिया जा रहा है। वैज्ञानिक तरीके से गौ मूत्र को चिकित्सा पद्धति में सम्मलित करके आय का जरिया बनाया गया है। इस संबंध में स्वयं सेवी संस्थाएं आगे आकर हमारी गौशालाओं को पचमेड़ा की तरह चलाकर बहुत बड़ा काम कर सकती है। 
ऊर्जा मंत्री ने रासायनिक खाद और जैविक खाद से उत्पादित फसलों की तुलना करते हुए कहा कि जैविक खाद से ली गई फसलों और सब्जियों का मूल्य अधिक मिलता है। किसानों को जैविक खाद को प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हांेने कहा कि जैविक खाद और गौमूत्र का आदर्शतम उपयोग होने से किसानों व गोपालक की आय में निश्चित रूप से वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद से भूमि की ऊर्वरा शक्ति कमजोर होती है जबकि जैविक खाद से भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ती है। किसानों को चाहिए कि वे जैविक खाद का कृषि में उपयोग कर अधिक उत्पादन के साथ अपनी आय में वृद्धि करें। उन्होंने राजस्थान गौ सेवा परिषद को आश्वस्त किया कि उनकी ओर से दिए गए सुझावों को राज्य सरकार की नीति बनाने के लिए संबंधित मंत्रालय को लिखेंगे। 
इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि भारतीय नीति-निर्देशक तत्वों में गाय को हमारी कृषि का आधार ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति का आधार माना हैं। सन् 1940 में नीति निर्देशक तत्वों में सर्व सम्मति से गाय को शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि बैल से बिजली उत्पादन हो सकती है,इससे बैल नकारा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से स्टार्टअप एस्पो के माध्यम से गाय के उत्पादों (गौबर-गौमूत्र) से कई चीजे बनाने का काम बीकानेर में शुरू करवाने का प्रयास किया जायेगा। राजस्थान के युवाओं को गौबर व गौमूत्र से जैविक खाद व कीटनाशक बनाने का काम रोजगार के रूप में मिल सकेगा। 
संत रघुनाथ दास भारती ने कहा कि गाय के बिना कृषि संभव नहीं है। भारत में गाय के बिना आजीविका भी संभव नहीं है। कृषि को गाय से अलग करके कृषि व गौपालन को कमजोर किया गया है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को पालने की शक्ति गाय में है। उन्होंने कहा कि यह रासायनिक खाद को रोक लगाकर स्वतः ही जैविक खाद को बढ़ावा देती है। 
इस अवसर पर राजस्थान गौ सेवा परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा ने प्रदेश में गौशालाओं के माध्यम से जैविक खाद बनाने,आईसीएआर से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए निर्देश जारी करवाने,देश के सभी कृषि विेज्ञान केन्द्रों में जैविक खाद उत्पादन का माॅडल विकसित करवाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की अनुदानित गौशालाओं में राज्य सरकार जैविक खाद का उत्पादन अनिवार्य करवाना चाहिए। गौबर-गौ मूत्र का पशुपालकों को पैसा देने के लिए जैविक खाद अथवा गौबर से गौ काष्ठ (फ्यूल वुड) बनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकारी खरीद वितरण प्रणाली में जैविक खाद को शामिल करने की आवश्यकता जताई। 
समारोह के दूसरे सत्र में जैविक खाद बनाने की विधियों व उपयोगिता पर गौष्ठी की गई। इस अवसर पर पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.ए.के.गहलोत,वेटरनरी विश्वविद्यालय के डीन त्रिभुवन सिंह,एडवोकेट अजय पुरोहित,मेघराज सेठिया व डीपी पचीसिया अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह में राज्य के गोपालक एवं कृषि,पशुपालन विभाग के वैज्ञानिक शामिल हुए।



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