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पर्यटकों के आकर्षण के लिए नहींं... ये है सुजानदेसर की मौत बांटने वाली 5 झीलों में से एक

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सुजानदेसर में गंदे पानी का साम्राज्य
सुजानदेसर में पांच सूरसागर, घर छोड़ रहे लोग
मच्छरों की फौज, फैल सकती है महामारी 
प्रशासन व नेताओं ने कई बार किया अवलोकन, नहीं कर पाए कोई समाधान
बीकानेर। सुजानदेसर में गंदे पानी का फैलाव इतना हो गया है कि लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। हालात इतने गंभीर हैं, लोगों ने घर छोड़कर दूसरी जगह चले गए हैं। मार्ग बंद होने से आवागमन भी बाधित हो गया है। यह स्थिति सुजानदेसर में ब्राह्मणों के मोहल्ले से चौपड़ा बाड़ी तक जाने वाले मार्ग की है। बात यहीं तक की नहीं बल्कि पूरे सुजानदेसर क्षेत्र की है। चांदमल बाग हो या बिना बारिश के बने अनगिनत सूरसागर से। जूनागढ़ के समक्ष बने सूरसागर के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा तक चुनौतियां देकर चली गई जो मात्र शहर की सुंदरता को दर्शाता है, लेकिन मुख्यमंत्री व प्रशासन को सुजानदेसर के अनगिनत सूरसागर आज तक क्यों नजर नहीं आए।
क्षेत्र के मिलन गहलोत ने बताया कि प्रशासन और स्थानीय निकायों की अनदेखी के चलते यहां गंदे पानी के पांच तालाब बन गए हैं। जिसकी वजह से इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए जीना मुहाल हो गया है। क्षेत्र के लोगों ने इसकी लिखित शिकायत कई बार प्रशासन को दी लेकिन प्रशासन है कि सुनता ही नहीं।
गौरतलब है कि सुजानदेसर स्थित ट्रीटमेंट प्लांट, ब्राह्मणों का मोहल्ला, सोमारनाथ धोरा, चांदमल बाग व चूने भट्टे के पास बने गंदे पानी के झीलों की वजह से क्षेत्रवासी परेशान हैं। दुर्दशा के शिकार हुए इन क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों व प्रशासन का ध्यान बिल्कुल नहीं है। इन झीलों से खतरा इतना बढ़ गया है कि आसपास के मकान भी उनकी जद में आने लग गए हैं। समय-समय पर क्षेत्रवासियों ने इस समस्या के समाधान के लिए धरना-प्रदर्शन भी किया लेकिन प्रशासन और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की आंखें नहीं खुली।

यह है समस्या
गोपेश्वर बस्ती, खेतेश्वर बस्ती, जनता प्याऊ, गंगाशहर तथा भीनासर आदि सभी क्षेत्रों का गंदा पानी सुजानदेसर में एकत्र हो रहा है। क्षेत्र में लगे ट्रीटमेंट प्लांट की डिग्गियां भर जाने से पर गंदा पानी गोचर में फैलने लगता है, जिससे गोचर की भूमि बंजर हो रही है। वहीं असंख्य मच्छर पैदा होकर बीमारियों को न्यौता रहे हैं। पानी निकासी सुचारू नहीं होना ही सबसे बड़ी समस्या है।

मौत की झीलें....
इन गंदी झीलों में डूबने से करीब एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं। चांदमल बाग और ट्रीटमेंट प्लांट क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां ऐसी दुर्घटनाएं काफी हो चुकी हैं। दुर्घटना होने पर कुछ दिन सभी चाक-चौबंद रहते हैं, बाद इसके बेरुखी का वही रवैया दिखने लगता है।

बारिश में होता है बड़ा नुकसान
क्षेत्रवासियों की पीड़ा यह है कि बारिश शुरू होते ही हालात इतने खतरनाक हो जाते हैं कि घरों में गंदा पानी घुस जाता है और दीवारें ढहने लगती हैंं। लोगों के लिए सुखद संदेश लाने वाली बारिश इस क्षेत्र के बाशिंदों के लिए नुकसानदायी साबित होती है। देर रात को आने वाली बारिश में तो परेशानियां हर तरह की बढ़ जाती है। सोने की बजाय लोग रातभर घरों से पानी निकालने में जुटे रहते हैं।

अब डॉ. कल्ला से आस...
क्षेत्रवासियों का कहना है जिला कलक्टर डॉ. पृथ्वीराज, आरती डोगरा, डॉ. अनिल गुप्ता, पूर्व महापौर भवानीशंकर शर्मा, वर्तमान महापौर नारायण चौपड़ा, पूर्व न्यास अध्यक्ष मकसूद अहमद, पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका तथा पश्चिम क्षेत्र के पूर्व विधायक डॉ. गोपाल जोशी आदि सभी से समय-समय पर इस समस्या के समाधान के लिए गुहार लगाई गई लेकिन किसी ने भी इसके कारगर समाधान में रुचि नहीं दिखाई। क्षेत्रवासियों का कहना है कि डॉ. बीडी कल्ला भी विधानसभा चुनावों से पूर्व आए और समस्या की गंभीरता को समझा, कलक्टर के समक्ष उन्होंने समस्या भी रखी लेकिन वह ज्ञापन केवल कलक्टर की टेबल तक ही रह गया।



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