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अम्मड़ अजु बि रोये थी यादु करे विरहांङों भाउरनि में मां : अनेक को बनाए रखती सदैव एक, सह नहीं सकती "विभाजन"






*BAHUBHASHI*
*खबरों में बीकानेर*🎤 🌐 




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 🙏 मोहन थानवी 🙏




 
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Khabron Me Bikaner 🎤



 सच्चाई पढ़ें । सकारात्मक रहें। संभावनाएं तलाशें । 




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बंट जाना/ बांट देना/ बटवारा करना/ विभाजन/ विभाजित करना/ टूटना/तोड़ना/ अलग करना/ टुकड़े/टुकड़ा करना
... और भी कुछ पर्याय हो तो भी... एक के दो फाड़ होने के बाद सोने-चांदी के पैबंद भी... पैबंद ही कहलाएंगे।
...
ज़ख़्म कभी भर नहीं पाएंगे।

( यह भाव नीचे दी गई सिंधी कविता से कतई मेल नहीं खाते... लेकिन... हमारे ग़ैर सिंधी भाई-बहिन कविता को जरूर खुद से बतियाते हुए अनुभूत करेंगे... )

विरहांङो

माण्हूं विरहाइजी वयो
जाति-वर्णनि में
अमीरी-गरीबीअ में
जमीन विरहाइजी वयी
झंग, पहाड़ ऐं मैदाननि में
मकाननि, मंदिरनि, टिकाणनि
ऐं
चर्च, गुरुद्वारनि में
हदां ठही वयूं
मुलकनि जियूं
मुलकनि में विरहाइजी वया सूबा
समुढ बि विरहाइजी वया
हिकु हो मालिकु
करोड़नि में विरहाइजी वयो
माण्हूंअ खे सभु जाण हूंदे बि
अम्मड़
अजु बि रोये थी
यादु करे
विरहांङों
भाउरनि में
       . .-. मोहन थानवी



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 🙏 मोहन थानवी 🙏 


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