अंजाम
धैर्यवान काठ की हाँडी बार बार खुद को आग से परे रहकर जलने से बचती और खिचड़ी पकाकर स्वार्थी को देती रही। एक दिन उसे लोगोँ…
धैर्यवान काठ की हाँडी बार बार खुद को आग से परे रहकर जलने से बचती और खिचड़ी पकाकर स्वार्थी को देती रही। एक दिन उसे लोगोँ…
बालू की चिट्ठी - मेघ के नाम इस तरह बूंद बूंद रिसते बरसते पर उमस करते हो ? मेघ तुम थार के जीवन पर कुठाराघात करते ह…