- मोहन थानवी
राजस्थान में सत्ता पर इस बार फिर कांग्रेस काबिज रहेगी या रिवाज के मुताबिक भाजपा विराजेगी, यह अभी 3 दिसंबर तक कोई नहीं कह सकता। लेकिन फिजां में घुल रहे रंग और खुल रहे पत्ते कुछ कुछ इशारा कर रहे हैं कि राजनीतिक जगत के धुरंधरों को परिणाम का आभास होने लगा है।
लोग कानाफूसी कर रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने क्षेत्र में मतदान के आंकड़ों के आधार पर जानकारों से मतगणना से पहले अपनी जीत-हार को समझने का प्रयास किया है। इतना ही नहीं, जिन विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय अथवा किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी की तरफ मतदान का रुझान की जानकारी मिलने पर उन्हें अपनी पार्टी की ओर आकर्षित करने की जुगत भी अभी से लगाई जाने की फुसफुसाहट हो रही है।
माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के पुनः सिंहासन पर बैठने को लेकर आश्वस्त एक शेर पूर्व मंत्री ऐसे काम की डोर बखूबी थामे हुए हैं। इसके ठीक उलट रिवाज बदलने को आतुर पार्टी के एक करंट वाले मंत्री जी अपने विधानसभा क्षेत्र में रिकॉर्ड मतदान के आंकड़े को लेकर फर्जीवाड़ा होने की आशंका में शिकायत निर्वाचन आयोग तक पहुंचा चुके हैं।
इसी पार्टी के पढ़ाई लिखाई में आगे रहने वाले एक और मंत्री जी के कुछ समर्थक मतदान के आंकड़ों से बदरंग हुए पत्तों को खुलने से रोकने में लगे दिखते हैं। लेकिन इस सबसे इतर राजनीतिक हलकों की गहनता से जानकारी रखने वाले भी 3 दिसंबर को मतगणना के परिणाम आने से पहले किसी की भी हार और जीत के बारे में स्पष्ट संकेत तक नहीं दे पा रहे।
हां, दबे स्वर में कुछ लोग यह जरूर कह रहे हैं की पार्टियों को बहुमत के लिए निर्दलियों की दरकार तो रहेगी।
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