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"ऑपरेशन हीरो राम का" प्रो. राजेश कुमार ने बहुत सारे नए शब्द और मुहावरे गढ़े हैं -- बी एल आच्छा "Operation Hero Ram's" Pro. Rajesh Kumar has coined many new words and idioms - BL Achha

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Pro. Rajesh Kumar has coined many new words and idioms - BL Achha





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 🙏 मोहन थानवी 🙏




 
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"ऑपरेशन हीरो राम का"
प्रो. राजेश कुमार ने बहुत सारे नए शब्द और मुहावरे गढ़े हैं -- बी एल आच्छा

विस्तृत रपट -- रणविजय राव
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लोकार्पित पुस्तक --- ऑपरेशन हीरो राम का
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प्रो. राजेश कुमार ने बहुत सारे नए शब्द और मुहावरे गढ़े हैं  --  बी एल आच्छा
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            आज देश के सर्वाधिक सक्रिय व्हाट्सएप समूहों में से एक "21वीं सदी के साहित्यकार" के पटल पर डॉ राजेश कुमार की पुस्तक "ऑपरेशन हीरो राम का" लोकार्पण और परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता की वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ बी एल आच्छा ने और मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ साहित्यकार गंगाराम राजी। सान्निध्य के रूप में उपस्थित रहे इंडिया नेट बुक्स के निदेशक और वरिष्ठ कवि डॉ संजीव कुमार। विशिष्ट उपस्थिति रही वरिष्ठ कवि और व्यंग्यकार डॉक्टर लालित्य ललित की। लेखकीय वक्तव्य दिया डॉक्टर राजेश कुमार जी ने और विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित थे लोकप्रिय व्यंग्यकार डॉ हरीश कुमार सिंह और डॉ प्रभात गोस्वामी। 

           कार्यक्रम का संचालन किया युवा कवि और व्यंग्यकार रणविजय राव ने। उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए और विशिष्ट अतिथियों का परिचय देते हुए कहा कि यह बड़े ही गर्व का विषय है कि आज इस लोकार्पण और परिचर्चा कार्यक्रम में देश के जाने माने साहित्यकार और व्यंग्यकार उपस्थित हैं। डॉ. प्रोफेसर राजेश कुमार एक वरिष्ठ साहित्यकार और भाषा शास्त्री हैं और उन्होंने व्यंग्य के अतिरिक्त अन्य कई विधाओं में भी पुस्तकें लिखी हैं। 

        विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया डॉ विवेक रंजन श्रीवास्तव ने जो स्वयं एक कवि और व्यंग्यकार हैं। उन्होंने विशिष्ट अतिथियों और ऑनलाईन जुड़े श्रोताओं के स्वागत करते हुए कहा कि आज यह बड़ी बात है कि देश के विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों सहित विदेश से भी सक्रिय साहित्यकार जुड़े हैं। उन्होंने बड़ी संख्या में ऑनलाइन जुड़े साहित्यकारों और श्रोताओं का भी स्वागत किया। 

          विशिष्ट अतिथियों के स्वागत उद्बोधन के बाद पुस्तक लोकार्पण की औपचारिकता पूरी की गई। ऑनलाइन उपस्थित लोगों ने तालियों से इस लोकार्पण का स्वागत किया और डॉ राजेश कुमार को बधाई दी।।    
       
          विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए लोकप्रिय व्यंग्यकार डॉ हरीश कुमार सिंह ने कहा कि राजेश जी के पास कहन का सलीका है और कथात्मक शैली के व्यंग्य पढने में रुचिकर,हास्य व्यंग्य से भरपूर हैं। व्यंग्य की भाषा समृद्ध और साहित्यिक है। भाषा में कोई दुरुहता नहीं है बल्कि पाठक को सहज और व्यंग्य से जोड़े रखती है। उन्होंने कहा कि इस संकलन के आलेखों में उनके अनुभवों के कई रंग हैं तो भाषा का संतुलन भी है। 

            कार्यक्रम में दूसरे विशिष्ट वक्ता डॉ प्रभात गोस्वामी ने कहा कि जिस प्रकार से मानव शरीर की थाह लेना मुश्किल होता है और चिकित्सक चीरफाड़ कर रोग का निदान करने की कोशिश करता है, ठीक उसी तरह से व्यंग्यकार भी समाज की कुरीतियों के साथ चीरफाड़  करने की कोशिश करता है।  इस संग्रह में भी डॉक्टर राजेश कुमार जी ने यही किया है। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति व्यथित होता है, कुरीतियों से परेशान होता है तो सजग लेखक अपनी कलम उठाता है और समाज, शहर, देश, राज्य अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर की परिस्थितियों पर कलम चलाता है और लेखन के माध्यम से अपनी बात कहता है। इस संग्रह की रचनाओं में इन विविध विषयों पर राजेश जी ने सशक्त रूप से कलम चलाई है। 

            अपने लेखकीय वक्तव्य में डॉक्टर राजेश कुमार जी ने पुस्तक लेखन और पुस्तक प्रकाशन से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख किया। इसके साथ-साथ समूह से जुड़े लोगों के बारे में भी अपने मन की बात भी कही। उन्होंने पुस्तक प्रकाशन, पुस्तक का कवर आदि के बारे में भी अपनी बात रखी कि किस तरह की समस्याओं से उन्हें दो-चार होना पड़ा। उन्होंने विशिष्ट वक्ताओं और विशिष्ट अतिथियों का भी आभार जताया कि इतनी बड़ी संख्या में इस पुस्तक लोकार्पण समारोह में लोग जुड़े। 

           कार्यक्रम में सान्निध्य के रूप में उपस्थित डॉ संजीव कुमार जो स्वयं एक लोकप्रिय कवि हैं और इंडिया नेटबुक्स के निदेशक हैं, ने कहा कि इस अवसर पर साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति से वे गदगद हैं। यह बड़ा अवसर है कि डॉ राजेश कुमार जी का नया व्यंग्य संग्रह लोकार्पित हुआ। 

            कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गंगाराम राजी ने कहा कि व्यंग्य लेखन एक गंभीर कर्म है। डॉ राजेश कुमार के व्यंग्य चेखव की तरह अंत में करुणा की तरफ ले जाते हैं जो एक बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि संग्रह के कई आलेख ऐसे हैं जो हमें कभी गुदगुदाते हैं तो कभी सोचने पर मजबूर करते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों, व्यवस्थाजन्य खामियों और दैनंदिन जीवन में आ रही समस्याओं से किस तरह एक आम आदमी को दो-चार होना पड़ता है, इन सब बातों को अपने आलेखों के माध्यम से डॉ राजेश कुमार जी ने हमारे समक्ष रखने की कोशिश की है। 

             अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ बी एल आच्छा ने पुस्तक के बारे में एक बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि डॉ राजेश कुमार ने अपने इस संग्रह में बहुत सारे नए शब्द और मुहावरे गढ़े हैं। उन्होंने कहा कि व्यंग्य वाणी का लोकतंत्र है। हिंदी में हम बहुत सारी बातें व्यंग्य के माध्यम से कह सकते हैं जो अन्य विधाओं में यह शायद ही सम्भव हो।  कहते भी हैं कि हिंदी में कहावत और मुहावरे लोक का समाजशास्त्र हैं। इनमें व्यंग्य की मुखरता है। आज का व्यंग्यकार किसी कवच में नहीं आना चाहता है। वह कवच को फाड़ कर फेंक देता है। उन्होंने कहा कि करुणा भी हो और व्यंजकता भी हो तो व्यंग्य मारक हो जाता है। करुणा और हास्य दोनों हों लेकिन चेतना ध्वस्त करने वाला हास्य न हो। उन्होंने कहा कि डॉ राजेश में बहुत बड़ी  छलांग लगाने की क्षमता है। राजेश जी अपने परिवेश से संक्रांत रहते हैं और वे पात्रों के माध्यम से अपनी बात कहते हैं, कथानक के माध्यम से कहते हैं। एक शिल्प की तलाश रहती है उन्हें। उन्होंने कहा कि वैविध्य का छोर एक व्यंग्यकार में होना चाहिए जो कि राजेश जी में है। इससे साफ जाहिर होता है कि वह भाषा के खेल में माहिर हैं। जैसे दातों का पसीना निकाल लेना, इस तरह के जो दृश्य बने हैं बन पड़े हैं वे नाटकीय और आकर्षक हैं। 

             धन्यवाद ज्ञापन के पूर्व अगले रविवार के लिए निर्धारित कार्यक्रम की सूचना लोकप्रिय साहित्यकार परवेश जैन जी ने दी। साथ ही पुस्तक लोकार्पण और परिचर्चा के बारे में भी संक्षेप में अपनी बात रखी। उन्होंने राजेश कुमार जी को बधाई भी दी। 

            अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया वरिष्ठ कवि और व्यंग्यकार डॉ ललित ललित ने। उन्होंने कहा कि यह बड़े ही सौभाग्य की बात है कि इस पुस्तक लोकार्पण और परिचर्चा में देश के जाने-माने साहित्यकार जुड़े और उन्होंने अपनी बात रखी। उन सबके साथ-साथ बड़ी संख्या में जुड़े देश और विदेश के श्रोताओं का भी आभार जताया। 

          विशेष तकनीकी सहयोग दिया साहित्यकार-व्यंग्यकार डॉ सुरेश कुमार मिश्र ने। 

         कार्यक्रम में दुबई से स्नेहा देव, कनाडा से हरिहर झा, बंगलोर से दीपा स्वामीनाथन, इंदौर से तीरथ सिंह खरबंदा के साथ-साथ विवेकरंजन श्रीवास्तव, सुनीता शानू, परवेश जैन, मेधा झा, सूर्यदिप कुशवाहा, सुषमा व्यास, नेहा नाहटा, नीलम गुप्ता, सीमा अग्निहोत्री, हनुमान गोयल, अरुण आर्णव खरे, वीना सिंह जैसे अन्य वरिष्ठ साहित्यकार भी बड़ी संख्या में कार्यक्रम के अंत तक जुड़े रहे। 

           कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा।
-प्रस्तुति - श्री प्रभात गोस्वामी, जयपुर 
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 📒 CP MEDIA 





 🙏 मोहन थानवी 🙏 


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