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डेयरी फार्म पहुंचे विद्यार्थियों ने गायों के रख-रखाव और दूध निकालने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया के बारे में जाना
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डेयरी फार्म पहुंचे विद्यार्थियों ने गायों के रख-रखाव और दूध निकालने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया के बारे में जाना
कृषि महाविद्यालय में एकदिवसीय एंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम आयोजित
डेयरी फार्म पहुंचे विद्यार्थियों ने गायों के रख-रखाव और दूध निकालने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया के बारे में जाना
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डेयरी फार्म पहुंचे विद्यार्थियों ने गायों के रख-रखाव और दूध निकालने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया के बारे में जाना
कृषि महाविद्यालय में एकदिवसीय एंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम आयोजित
बीकानेर, 16 मार्च। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से कृषि महाविद्यालय के विद्यार्थियों का एकदिवसीय एंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम शनिवार को आयोजित हुआ।
इस दौरान विद्यार्थियों ने खारा के काऊ-बेल्स डेयरी फाॅर्म का भ्रमण किया। डेयरी फाॅर्म प्रभारी नवीन सिंह ने कहा कि आज का दौर एंटरप्रेन्योरशिप का है, ऐसे में विद्यार्थी ‘जाॅब सीकर’ नहीं बनते हुए ‘जाॅब प्रोवाइडर’ बनें। विद्यार्थी स्वयं अपना उद्यम स्थापित करें तथा दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करें। उन्होंने गौपालन, बकरी पालन, मशरूम तथा फल-सब्जी उत्पादन की संभावनाओं के बारे में बताया। इस दौरान विद्यार्थियों ने गायों के रख-रखाव और दूध निकालने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया के बारे में जाना।
सिंह ने पिछले पांच-छह वर्ष पूर्व प्रारम्भ किए गए इस उद्यम की उपलब्धियों एवं इसमें आई व्यावहारिक परेशानियों के बारे में बताया। इससे पहले महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बौद्धिक सम्पदा अधिकारी प्रो. अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि एन्टरप्रेन्योरशिप में कदम-कदम पर अनेक चुनौतियां मिलेंगी। इनसे निराश हुए बिना पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करते हुए सफलता पाई जा सकती है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. आई. पी. सिंह ने विद्यार्थी, सफल लोगों के अनुभवों से सीखें तथा इससे प्रेरणा लेते हुए समय की मांग के अनुरूप नवाचार करें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाॅ. डी. कुमार ने बताया कि गवार में उद्योग की अनेक संभावनाएं हैं। प्रतिवर्ष 800 से 900 करोड़ रुपये का ग्वार एक्सपोर्ट होता है। उन्होंने इसकी विशेषताओं के बारे में बताया। प्रौद्योगिकी अधिकारी आर. एस. राणा ने कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन एवं पैकेजिंग की संभावनाओं के बारे में बताया। इस दौरान डाॅ. विजय शंकर आचार्य, इंजी. जे. के. गौड, डाॅ. बृजेन्द्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
इस दौरान विद्यार्थियों ने खारा के काऊ-बेल्स डेयरी फाॅर्म का भ्रमण किया। डेयरी फाॅर्म प्रभारी नवीन सिंह ने कहा कि आज का दौर एंटरप्रेन्योरशिप का है, ऐसे में विद्यार्थी ‘जाॅब सीकर’ नहीं बनते हुए ‘जाॅब प्रोवाइडर’ बनें। विद्यार्थी स्वयं अपना उद्यम स्थापित करें तथा दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करें। उन्होंने गौपालन, बकरी पालन, मशरूम तथा फल-सब्जी उत्पादन की संभावनाओं के बारे में बताया। इस दौरान विद्यार्थियों ने गायों के रख-रखाव और दूध निकालने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया के बारे में जाना।
सिंह ने पिछले पांच-छह वर्ष पूर्व प्रारम्भ किए गए इस उद्यम की उपलब्धियों एवं इसमें आई व्यावहारिक परेशानियों के बारे में बताया। इससे पहले महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बौद्धिक सम्पदा अधिकारी प्रो. अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि एन्टरप्रेन्योरशिप में कदम-कदम पर अनेक चुनौतियां मिलेंगी। इनसे निराश हुए बिना पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करते हुए सफलता पाई जा सकती है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. आई. पी. सिंह ने विद्यार्थी, सफल लोगों के अनुभवों से सीखें तथा इससे प्रेरणा लेते हुए समय की मांग के अनुरूप नवाचार करें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाॅ. डी. कुमार ने बताया कि गवार में उद्योग की अनेक संभावनाएं हैं। प्रतिवर्ष 800 से 900 करोड़ रुपये का ग्वार एक्सपोर्ट होता है। उन्होंने इसकी विशेषताओं के बारे में बताया। प्रौद्योगिकी अधिकारी आर. एस. राणा ने कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन एवं पैकेजिंग की संभावनाओं के बारे में बताया। इस दौरान डाॅ. विजय शंकर आचार्य, इंजी. जे. के. गौड, डाॅ. बृजेन्द्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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