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राजस्थानी कविता लेखन से बालकों की सृजन प्रवृति-भाषा अभिव्यक्ति को बल मिलता है

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राजस्थानी कविता लेखन से
बालकों की सृजन प्रवृति-भाषा
अभिव्यक्ति को बल मिलता है
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राजस्थानी कविता लेखन से
बालकों की सृजन प्रवृति-भाषा
अभिव्यक्ति को बल मिलता है
बीकानेर। मातृभाषा से नई पीढ़ी को जोडऩे और साहित्य के प्रति
राजस्थानी में लेखन के प्रति रूचि जागृत करने के उद्देश्य से
राजस्थानी कविता लेखन का आयोजन नालंदा पब्लिक सी. सै.
स्कूल के सृजन सदन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के
प्रभारी हरिनारायण आचार्य एवं आशीष रंगा ने बताया कि युवा
छात्र छात्राओं ने बहुत उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यक्रम के
संयोजक राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने
बताया कि छात्र छात्राओं ने अपने अन्दर की सृजनात्मक ऊर्जा
को अपनी कलम के माध्यम से अपनी मातृभाषा में व्यक्त किया।
राजस्थानी कविता लेखन में अंजली व्यास ने- 'होया शहीद
पुलवामा में/बे वीर सपूत भारत रा था रचकर अपनी रचना को
प्रासंगिक बनाया इसी तरह किती सुखी है आ छोटी सी चिड़कली
कविता विशाल विश्नोई ने रचकर पक्षियंो के संबंध में अपनी
बात कही तो निकिता गहलोत ने-आपरो भाई करे अरदास/
लिखकर नगर की बात रखी। इनके अलावा कोमल कुमावत,
नेहा रामावत, अर्पिता सुथार, मुस्कान व्यास, प्रेरणा भार्गव,
मीनल व्यास, आस्था आचार्य लताश्री मारू और भावना
गहलोत, तेजस्वी ने मायड़ भाषा में कविता लिखी।
आज कहानी लेखन : पांच दिवसीय कार्यक्रमों के तहत
आज नालंदा के सृजन सदन में कहानी लेखन का आयेाजन रखा
गया है।


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