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कादम्बिनी क्लब ने शहीदों को अर्पित की श्रद्धांजलि

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कादम्बिनी क्लब ने शहीदों को अर्पित की श्रद्धांजलि
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कादम्बिनी क्लब ने शहीदों को अर्पित की श्रद्धांजलि

  पाकिस्तान किधर था, युगों युगों तक पूछा जाएगा... 
  बीकानेर 17 फरवरी । कादम्बिनी क्लब के मासिक कार्यक्रम में  होटल मरुधर हेरिटेज  के विनायक सभागार में पुलवामा में शहीद हुए हमारे सीआरपीएफ के 40 जवानों को शब्दांजलि देने हेतु नमन कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राधाकृष्ण उच्च अध्ययन संस्थान के पूर्व प्रोफेसर एम.एल.जांगीड ने कहा कि हमें हमारे सैनिकों पर नाज है । दुश्मन ने छद्म तरीके से पीठ पीछे वार किया जिसे सहन नहीं किया जा सकता । जांगीड ने अपनी काव्यात्मक पंक्तियों-शहीदों का खून बेशकीमती... के माध्यम से अपनी बात रखी । मुख्य अतिथि डॉ.कृष्णा आचार्य ने कहा कि दुश्मन कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो हमारा देश नहीं झुकेगा और ना ही हारेगा । उन्होंने काव्यात्मक शब्दांजलि-मातृभूमि पर जब जब असुरों ने डेरा डाला है....शीर्षक की कविता के माध्यम से व्यक्त की ।
  कादम्बिनी क्लब के अध्यक्ष एवं संयोजक डॉ.अजय जोशी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि संकट की इस घडी में पूरा देश एकजूट है और हमले के गुनहगार लोगों को सबक सिखाने को हमारी सेनाएं तैयार है । कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अपनी कविता के माध्यम से कहा भूंडी कुचमादी सत्ता रा विषदंत उखाडै म्हारी कविता, सदा क्रांति रो नाद सुणावै म्हारी कविता । संयोजन करते हुए  कवि बाबुलाल छंगाणी ने भारत के लोगों के हाथों में तिरंगा है कविता प्रस्तुत की । सह संयोजक डॉ.नरसिंह बिन्नाणी ने कहा कि हम चैन से सोते रहें इसलिए हमारे सैनिक दिन रात जागते रहते हैं । पुलवामा की घटना के बाद देश के दुश्मनों को सजा देने का समय आ गया है । कवयित्री ज्योति वधवा ने- पाकिस्तान किधर था युगों-युगों तक पूछा जाएगा... कविता के माध्यम से अपनी भावांजलि दी । युवा कवि-कथाकार पुखराज सोलंकी ने अपनी देशभक्ति रचना में यह सन्देश दिया कि देश की मिट्टी से बने हैं हम और देश के लिए मिट्टी में मिलने का जज्बा रखते हैं । इस अवसर पर व्यवसायी हेमचन्द बांठिया, एन.डी.रंगा, माणकचन्द सुथार, डॉ.प्रकाशचन्द्र वर्मा, कमलकिशोर पारीक, चन्द्रशेखर जोशी, डॉ.महेन्द्र चाढा, मुनीन्द्रप्रकाश अग्निहोत्री, लाभचन्द आदि ने अपने शब्दों और कविताओं के माध्यम से पुलवामां के शहीदों को भावांजलि प्रस्तुत की ।


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