बीएसएनएल कर्मियों की 18 से 21 फरवरी तक हड़ताल, ग्रामीण इलाकों सेवाएं बाधित नहीं होंगी

.. 👇👇👇 खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ 👇
बीएसएनएल कर्मियों की 18 से 21 फरवरी तक हड़ताल, ग्रामीण इलाकों सेवाएं बाधित नहीं होंगी

👇👇 🎤🤜 👇👆👇👆👇☝️ .. 👇👇👇 👇👇👇 👇👇👇👇👇
......
......

.....
...
.....
. ✍️ *फोटो लॉन* 📷🎬📸☑️*********🙏👍🙏 खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ ... 👇👇👇👇👇👇👇

बीएसएनएल कर्मियों की 18 से 21 फरवरी तक हड़ताल, ग्रामीण इलाकों सेवाएं बाधित नहीं होंगी

बीकानेर । आने वाले 4 दिन 18 फरवरी से 21 फरवरी तक बीएसएनएल उपभोक्ताओं को टेलीफोन - मोबाइल फोन का उपयोग करने में परेशानी आ सकती है, क्योंकि  बीएसएनएल कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे।  इसकी घोषणा बीएसएनएलईयू राजस्थान  ने कर दी है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं निर्बाध रहेंगी, वहांहड़ताल नहीं की जाएगी। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह गोहिल ने बताया कि देश हित मे निर्णय लेते हुए हमने जम्मू कश्मीर स्टेट को इस हड़ताल से मुक्त किया है ताकि वहां की संचार सेवाएं बाधित न हो। उन्होंने बताया कि अपनी मांगों की लगातार अनदेखी किए जाने और मंत्री तक के आश्वासनों के पूरा न होने पर आखिरकार प्रशासनिक हठ धर्मिता से अपना हक लेने के लिये विवश होकर 18 फरवरी 2019 से 21 फरवरी 2019 तक बीएसएनएल कर्मी हड़ताल पर जा रहे हैं। गोहिल ने संगठन की मांगों को रेखांकित करते हुए बीएसएनएल के घाटे में जाने के कारणों पर भी प्रकाश डाला व कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई प्राइवेट मोबाईल ऑपरेटर अपनी सेवाएं नहीं देता, क्योंकि उसे वहां से कम राजस्व मिलता है और वो घाटे में अपनी कम्पनी नहीं ले जा सकता। गोहिल ने बताया कि बीएसएनएल सरकारी उपक्रम है । केंद्र सरकार के आदेशों निर्देशो के तहत कार्य करता है। हमें ग्रामीण क्षेत्र में घाटे की सेवाएं देनी पड़ती है क्योंकि केंद्र सरकार के आदेशों को मानना हमारा कर्तव्य है। लेकिन ऐसे में घाटा हो तो इसमें बीएसएनएल के कर्मचारियों अधिकारियों का क्या दोष ?
जब हमें केंद्र सरकार के आदेशों की पालना करते हुये घाटा हो तो उसका भुगतान केंद्र सरकार को करना चाहिये । संगठन का ये भी आरोप है कि बीएसएनएल को आज भी 4G लाइसेंस नहीं दिया जा रहा तो जनता को हम 4G सुविधा कहां से दें ? इसमें कर्मचारियों अधिकारियों का क्या दोष ? गोहिल ने बीएसएनएल कर्मियों की ओर से सरकार व प्रबंधन के प्रति रोष प्रकट करते कहा कि
 संचार मंत्री मनोज सिन्हा 4 G लाइसेंस के लिये फरवरी 2017 में हां भर चुके मगर अब तक बीएसएनएल को प्रशासन लाइसेंस नहींं दे पाया तो इसमें बीएसएनएल कर्मियों अधिकारियों का क्या दोष ? उन्होंने कहा कि
आखिर लोकतंत्र में एक राष्ट्रीय दूरसंचार कम्पनी बीएसएनएल को बचाने के लिये ओर जनता को सस्ती दूरसंचार सेवाएं दिलवाने के लिये बीएसएनएल कर्मचारियों अधिकारियों को भरसक प्रयत्नों के उपरांत भी बात न मानने पर थक हारकर हड़ताल पर जाने के सिवाय और उपाय नहीं दिखाई देता। गोहिल ने कहा कि
हम बीएसएनएल कर्मियों को 1 अक्टूबर 2000 को केंद्र सरकार के कर्मचारी से हटाकर निगम के तहत पद स्थापित कर दिया गया वहीं हमारे विभाग में कार्यरत ITS अधिकारियों को केंद्र में प्रति नियुक्ति कर दी उन्हें बीएसएनएल में समायोजित नहीं किया जिससे उन्हें तो केंद्र सरकार के तहत 7 वें वेतन आयोग का लाभ मिल गया लेकिन लगभग दो लाख कर्मचारी अधिकारी बीएसएनएल में 3 रे वेतन समझौते के लिये अब लड़ाई लड़ रहे हैं। संगठन ने रोष जताते हुए सवाल उठाया है कि संचार मंत्री के आश्वाशन के बावजूद डीओटी सेकेट्री अरुणा सुंदरराजन ने हठ धर्मिता अपनाते हुए हमारे सभी संगठनों के प्रतिनिधियों का वार्ता से बहिष्कार कर दिया क्या एक उच्च अधिकारी को ये शोभा देता है? जबकि हम बीएसएनएल कर्मी प्रबंधन आदेशों की पालना करते हुई दिसम्बर 2018 से हड़ताल को deferred कर रहें है लेकिन हमारी जायज मांगों पर सरकार संचार मंत्री सिन्हा साहब के कहने के बाद भी लागू नहीं कर रही है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ