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पुलवामा की पुकार, सोएं नहीं :: "देश रक्षा और देश हित के मसलों पर न्यूज़ चैनलों को अदालत न बनने दें"

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पुलवामा की पुकार, सोएं नहीं :: "देश रक्षा और देश हित के मसलों पर न्यूज़ चैनलों को अदालत न बनने दें"
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पुलवामा की पुकार, सोएं नहीं :: "देश रक्षा और देश हित के मसलों पर न्यूज़ चैनलों को अदालत न बनने दें"
(आतंकवाद और आतंकी के पक्ष में बोलने वाले क्यों बुलवाते हैं कतिपय न्यूज चैनल?) 
-✍️ मोहन थानवी 
स्वतंत्र पत्रकार 9460001255 
बीकानेर । ये पुलवामा की पुकार है, सोएं नहीं।आतंकवाद, आतंकी और उनके पनपने पनपने का स्थान नेस्तनाबूद कर दें।  वह स्थान कहीं भी हो । आतंकी किसी भी समुदाय से हो।   आतंकवाद जो भारत के, मानवीयता के और दुनिया के खिलाफ हो उसे खत्म करना मानव की पहली ड्यूटी है।  आतंकवाद के खात्मे के लिए उठाए जा रहे कदमों के खिलाफ कोई कुछ तरफदारी की बात करता है तो उसकी बात को सुनें ही नहींं, फैलाएं ही नहीं । साथ ही सभी टीवी चैनलों से यह आग्रह है कि देश रक्षा और देश हित के मसलों पर कभी भी अपने चैनल को अदालत ना बनाएं, यानी न्याय प्रक्रिया यह कहती है किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए और मुलजिम को अपनी पैरवी करने का अधिकार है मगर टीवी चैनल ठीक अदालत की तरह करे तो दृश्य तब असहनीय हो जाता है जब राष्ट्र हित राष्ट्र रक्षा और मानवता के मसलों पर भी दोषियों के पक्ष में बातें रखी जाने लगती है । याद रखें कि सोशल मीडिया पर भी इस तरह की बातों के लिए सजा के प्रावधान शुरू कर दिए गए हैं।  इन बातों की गंभीरता और अधिक है । इतनी अधिक की शब्दों में बयां नहींं कर सकता। इसलिए आतंकवाद, आतंकियों के पक्ष में और राष्ट्र रक्षा व राष्ट्र हित एवं मानवता के विरोध में मुंह खोलने वालों को कोई भी चैनल, सोशल मीडिया तवज्जो न दे।  न ही राजनीतिक दल तवज्जो दे और ना प्रशासन, देश की व्यवस्था में लगे लोग उसके अनर्गल बयान को तवज्जो दे दे । जो ऐसे तत्वों को मंच दे, सामूहिक रूप से उसकी भी मुखरता से भर्त्सना की जाए चाहे वो कोई नेता हो या कोई धर्म - जाति- समुदाय का अगुवा हो । क्योंकि जो मानवता के विरुद्ध बात करता है वह मानव की श्रेणी में ही नहीं है । आतंकवाद पूरी मानवता के लिए खतरा है और उसके लिए सीमाएं बांधने वाले लोग एक उसके लिए सीमाएं बांधने वाले लोग एक बांधने वाले लोग एक तरह से उस की तरफदारी करते हैं।  पंजाब के एक नेता ने ने पिछले अपने पाकिस्तान के दौरे के बाद से कुछ ऐसी बातें कहीं जिनसे भारतीय नागरिक भारतीय नागरिक जिनसे भारतीय नागरिक स्तब्ध हैं, दुखी है और अभी पुलवामा में शहीदों की सहानुभूति में दो शब्द कहने की बजाय वह कार्यवाही पर फिर पर फिर ऐसी बात कहते हैं कि आतंकवाद का कोई देश नहीं होता।  तो इसका सीधा सा अर्थ है कि वह मानवता की बात करने की आड़ में उस स्थान को बचाने की भी बात करते हैं जहां आतंकवाद पनप रहा है।  आतंकवाद चाहे किसी भी देश में पनप रहा हो, वह मानवता का दुश्मन स्थान है।  आतंक, आतंकवाद और आतंकवाद के पनपने के स्थान के बारे में अनर्गल बातें करने वालों के लिए मंच बन चुके इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कतिपय चैनल भी हदें पार कर दो कदम आगे चल रहे है।  आतंकवादियों और उनके अपने स्थान के बारे में ऐसी ऐसी बातें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीवी चैनल के माध्यम से अब तक पहुंचाई जा रही है जो ना काबिले बर्दाश्त है काबिले बर्दाश्त है ।टीवी चैनल वालों को ऐसे चेहरों को अपने चैनल पर जगह ही नहीं ही नहीं देनी चाहिए जो मानवता और भारत के विरुद्ध कोई बात कहते हैं। जो चेहरा भारत सरकार के द्वारा उठाए जा रहे राष्ट्रहित के के उठाए जा रहे हैं कदमों के खिलाफ अपना मुंह खोलने की जुर्रत करता है । यह सरासर देशद्रोह की श्रेणी की बातें हैं जो ऐसे लोग टीवी चैनलों पर बेधड़क कह जाते हैं और आम दर्शक सुनकर रोष में और क्रोध में भर उठता है । मगर टीवी चैनल वालों पर कोई फर्क दिखाई नहीं देता । उन्हें अपनी टीआरपी से मतलब है।  ऐसे टीवी चैनलों को हम आम दर्शक देखना ही बंद कर दें । ना टीआरपी होगी न टीआरपी का झंझट रहेगा। पुलवामा की दुखद घटना के बाद मात्र 5 घंटे के भीतर ही घंटे के भीतर ही अभी हाल ही में लॉन्च हुए में लॉन्च हुए न्यूज़ चैनल के अर्नब गोस्वामी ने अनुकरणीय कदम उठाया और अपने चैनल पर आतंकवादियों की अपील करते हुए वीडियो का दिखाने  से मना कर दिया।  साथ ही अर्णब ने दूसरे चैनल वालों को भी ऐसे वीडियो क्लिप ना दिखाने की अपील की ।





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