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खबरों में बीकानेर 🎤 : कासिम की "आज कह दूं..."पुस्तक में जीवन की सच्चाई से वाकिफ करवाते हैं 400 शेर

कासिम की  "आज कह दूं..."पुस्तक में जीवन की सच्चाई से वाकिफ करवाते हैं 400 शेर

बीकानेर। युवा शायर क़ासिम बीकानेरी की 400 शे'र वाली तवील ग़ज़ल की पुस्तक  'आज कह दूं कोई ग़ज़ल ऐसी' का  लोकार्पण अतिथियों ने किया । वक्ताओं का कहना था कि 400 शे'र वाली तवील ग़ज़ल की पुस्तक  'आज कह दूं कोई ग़ज़ल ऐसी' के माध्यम से बीकानेर ही नहीं प्रदेश के उर्दू अदब में और विशेष तौर से शायरी के मामले में एक नया अध्याय जोड़ा है जिसके जरिए से नगर की साहित्यिक परंपरा को और समृद्ध होने का अवसर प्राप्त हुआ है ।
         महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम, नागरी भंडार में बज़्मे-फ़िक्रो-फ़न एवं प्रज्ञालय संस्थान के साझा आयोजन  की अध्यक्षता टोंक के वरिष्ठ शायर सय्यद साबिर हसन रईस ने की। उन्होंने कहा कि  ये ग़ज़ल की किताब इतिहास में दर्ज की जाएगी | समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार, डॉ.बी.डी.कल्ला ने कहा कि  लोकार्पित पुस्तक में क़ासिम बीकानेरी सच्चाई की वकालत करते हुए नज़र आते हैं |
 मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि बीकानेर में  क़ासिम बीकानेरी ने लंबी गजल कहने की एक नई परंपरा शुरू की है | 

 विशिष्ट अतिथि टोंक के वरिष्ठ शायर व आलोचक डॉ.अरशद अब्दुल हमीद ने आम बोलचाल की ज़बान में की गई शायरी को प्रभावित करने वाली बताया ।
       'आज कह दूं कोई ग़ज़ल ऐसी' पर पत्र रवि शुक्ल ने पढ़ा।  वहीं लेखक क़ासिम बीकानेरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर उर्दू व्याख्याता डॉ. शकीला बानो ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत  किया |
कार्यक्रम का संचालन आलोचक शाइर डॉ. मोहम्मद हुसैन ने किया।
      लोकार्पण समारोह में क़ासिम बीकानेरी ने अपनी ग़ज़ल के चुनिंदा शे'र सुनाए। इस शे'र को खूब वाहवाही मिली-' एक दरवेश आज भूखा है/कैसे लज़्ज़त हो मेरे खाने में |'
आरंभ में स्वागत भाषण बासनी,नागौर के शायर इरफ़ान नोमानी जाहिदी ने दिया | सभी का शुक्रिया मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफ़ी ने अदा किया।
- ✍️ मोहन थानवी

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