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साइंसदानों की तिकड़म - बी-स्कैन मशीन नेत्र जांच की, आशंका प्रोब बदलकर भ्रूण लिंग जांच में दुरुपयोग की

*खबरों में बीकानेर 🎤*
नेत्र जांच की बी-स्कैन मशीन का पीसीएनडीटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन हुआ अनिवार्य
राज्य भर की सैंकड़ों मशीनें और अस्पताल आए एक्ट के दायरे में
प्रोब बदलकर भ्रूण लिंग जांच में दुरुपयोग की है आशंका
बीकानेर से हुआ था प्रारंभिक खुलासा


बीकानेर। अल्ट्रासाउंड पर आधारित नेत्र जांच में काम आने वाली ओप्थेल्मोलोजी विभाग की बी-स्कैन मशीनों को पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत शामिल कर इनका पंजीयन अनिवार्य कर दिया गया है। सरकारी हो या निजी अस्पताल, बिना पंजीयन के इनकी खरीद व उपयोग अवैध हो गया है। अब इनके उपयोग पर कड़ी निगरानी रहेगी और कड़े नियमों व रिपोर्टिंग तंत्र के अधीन ही इनका प्रयोग हो पाएगा ताकि भ्रूण लिंग परीक्षण में इसके दुरुपयोग की गुंजाइश ना रहे। इन मशीनों में जीपीएस व एक्टिव ट्रैकर लगेंगे ताकि इनका स्थानान्तरण भी राज्यादेश बिना संभव ना हो सके। भ्रूण लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम-1994 के तहत् गठित केंद्र सरकार के सेंट्रल सुपरवाइजरी बोर्ड (सीआरबी) की सिफारिश पर राज्य समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी एवं स्वास्थ्य सचिव नवीन जैन द्वारा इस आशय के निर्देश जारी कर सभी बी स्कैन मशीनों को अधिनियम की जद में लेने का कार्य जिला पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठों को सौंपा गया है। 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी. एल. मीणा ने बताया कि बीकानेर में कई चिकित्सालयों के आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनका जांच के बाद पंजीकरण किया जाएगा। एक माह पश्चात भी जो चिकित्सालय अपनी मशीनों का पंजीकरण नहीं करवाएंगे उन्हें जब्त कर कानूनी कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। डॉ. मीणा ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार मशीन में प्रोब बदलकर गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग परीक्षण की संभावना है इसलिए इसका नियमन सख्ती से किया जाएगा। इसके अलावा यूरोलोजी व इको कार्डियोग्राफी से सम्बंधित अल्ट्रासाउंड आधारित मशीनो का भी पंजीकरण किया जाएगा। 

बीकानेर से गई थी इस बाबत कांफिडेंशियल रिपोर्ट 
बीकानेर पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ के जिला समन्वयक महेंद्र सिंह चारण ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी नवीन जैन के निर्देशानुसार पीबीएम हॉस्पिटल के रेडियोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. जी.एल. मीणा के साथ मिलकर नेत्र जांच की बी-स्कैन मशीन से लिंग जांच की गुंजाईश की गहन छानबीन कर एक कांफिडेंशियल रिपोर्ट भेजी थी जिसमे इन मशीनों को भी पीसीपीएनडीटी एक्ट के दायरे में लाने की अनुशंषा की गई थी। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दुबारा इस पर अध्ययन करवाया गया जिसके नतीजे भी इसी ओर इंगित कर रहे थे। इसके बाद पुणे (महाराष्ट्र) में भी इस प्रकार के केस सामने आए जिनके आधार पर विस्तृत अध्ययन व जांच करवाई गई और इस निर्णय पर पहुंचा गया।
*खबरों में बीकानेर*
. ✍️ मोहन थानवी

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