खबरों में बीकानेर 🎤 
. ✍️ मोहन थानवी 
जहां ब्रह्म-नाद ( शब्दों ) से होता है संवाद। ऐसे शिक्षा के मंदिर, शब्दों से संवाद करवाने वाले स्थल पर  राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इतिहासकार जुटते रहे हैं और इतिहास का मंथन करते हैं । यहां संरक्षित नूरजहां के फरमान - मुगल बादशाह जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब, नूरजहां, बहादुरशाह द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक फरमान, निशान और जयपुर, जोधपुर एवं सिरोही के राजाओं को लिखे पत्र इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। ये पत्र आनलाइन भी किए गए हैं। 
रियासतकालीन 35 लाख से भी अधिक ऐतिहासिक दस्तावेजों से शोधार्थी इतिहास में झांकते हैं। इतिहास को सामने ला खड़ा कर देने वाले ब्रह्म-शब्दों से संवाद स्थापित कर अपना भविष्य बनाते हैं। वह स्थान है बीकानेर में राजस्थान राज्य अभिलेखागार।
यहां स्वतंत्रता संग्राम में अपना सबकुछ होम कर देने वाले 246 देशभक्तों के संस्मरण भी संरक्षित है और उन्हें सुना भी जा सकता है। इनमें गोकुल भाई भट्ट, सिद्धराज ढढ्ढा, रणछोड़दास गट्टाणी, मथुरादास माथुर, हीरालाल शास़्त्री शामिल हैं।
इतिहास के शोधार्थियों के लिए अभिलेखागार में अकूत सामग्री संरक्षित है। संबंधित क्षेत्र की कला-संस्कृति, सामाजिक जीवन, लोकरंग, लोक रीतियों के बारे में ऐसी सामग्री से तत्कालीन तथ्यात्मक जानकारियां हासिल होती हैं।  आनलाइन अभिलेखों में बीकानेर महकमा खास, ऐतिहासिक बहियां, रामपुरिया रिकॉर्ड, परवाना बहियां, कौंसिल के हुकुम की बहियां शामिल हैं। जयपुर रियासत के लगभग 11 लाख ऐतिहासिक अभिलेख, जिनमें प्रमुख रूप से स्याह हुजूर वकील रिपोर्ट्स, अखबारात, अर्जदाश्त, लोजी, रुक्के, परवाने, आमेर अभिलेख, दस्तूर कौमवार, मुगलकालीन ऐतिहासिक फरमान, निशान व मंसूर, विल्स रिपोर्ट, मुगल राजपूत व राजपूत मराठा से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज शामिल है।
-✍️ मोहन थानवी