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केवलिया ने बताया “राष्ट्रीय कार्यक्रमों को सफल बनाने में हिन्दी भाषा का महत्त्व”

राष्ट्र की एकता का सेतु है हिन्दी -केवलिया
बीकानेर, 28 मार्च। कथाकार शरद केवलिया ने कहा कि हिन्दी भाषा में देश की आत्मा निवास करती है, हिन्दी राष्ट्र की एकता का सेतु है। हिन्दी आम व्यक्ति की भाषा है और आज का युग आमजन के हितों की बात करता है।
       
कथाकार शरद केवलिया ने कहा - राष्ट्र की एकता का सेतु है हिन्दी
   केवलिया बुधवार को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र सभागार में आयोजित राजभाषा कार्यशाला में “राष्ट्रीय कार्यक्रमों को सफल बनाने में हिन्दी भाषा का महत्त्व
 विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कार्यक्रमों की सफलता का मुख्य आधार राष्ट्र की सर्वाधिक बोली, पढ़ी तथा समझे जाने वाली भाषा होती है। इन कार्यक्रमों की सफलता का श्रेय हिन्दी को ही दिया जा सकता है, क्योंकि यह सवा सौ करोड़ देशवासियों की अस्मिता की भाषा है।
       केवलिया ने कहा कि आज प्रशासन तेजी से ग्रामोन्मुख होता जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं व कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों की सफलता तभी मानी जाती है, जब विकास की पंक्ति में अंतिम स्थान पर बैठे व्यक्ति तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचे। देश की अधिकांश आबादी गांवों में निवास करती है। जनप्रतिनिधि व अधिकारी-कर्मचारी हिन्दी भाषा के माध्यम से ही अधिक सशक्त व बेहतरीन रूप से, ऎसे व्यक्तियों तक राष्ट्रीय कार्यक्रमों की जानकारियां पहुंचा सकते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदी को राष्ट्र व विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने हेतु अनेक सफल कदम उठाए हैं। ‘मन की बातकार्यक्रम के माध्यम से वे देश के प्रत्येक नागरिक तक जनकल्याणकारी योजनाओं सहित अनेक उपयोगी विषयों की जानकारी पहुंचा रहे हैं।
               केवलिया ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना व स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभिनव कार्यक्रमों को पूरे देश में हिन्दी विज्ञापनों के द्वारा, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, टीवी, इंटरनेट, होर्डिंग्स आदि के माध्यम से प्रसारित किया गया व इन अभियानों को आशातीत सफलता मिली। अन्य किसी भाषा के द्वारा इस प्रकार की सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
        केन्द्र प्रभारी डॉ. एस सी मेहता ने कहा कि भारत जैसे कृृषि प्रधान देश में अर्थव्यवस्था काफी कुछ कृृषि और कृृषि उत्पादों पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्र के कृषकों व पशुपालकों के लिए अंग्रेजी में जानकारी व्यर्थ है। हिन्दी समाचारों व पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से वे कृृषि व पशुपालन संबंधी नवीनतम शोध, तकनीकों व योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया पर अधिकतर हिन्दी भाषा में ही राष्ट्रीय कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार संबंधी विज्ञापन आते हैं, जिससे अधिकाधिक आमजन को इनकी जानकारी हो जाती है। अहिन्दी भाषी प्रदेशों में भी हिन्दी का अब व्यापक प्रसार हो रहा है। उन्होंने केन्द्र में हिन्दी भाषा के अधिकाधिक हो रहे उपयोग संबंधी जानकारी दी। 
         प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राम अवतार लेघा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यशाला की महत्ता बताई। उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के नेमीचंद, कमल सिंह ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय रवि ने किया। इस अवसर पर केन्द्र के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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