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मन कबूतर पंख पसारता यहां...

Aawo meet... Geet vahi gaate hain... ये रोषनी हमारे लिए है... हमारे लिए है... ये खुषियां हमारे लिए है... हमारे लिए है... आषाओं का सागर लहराता यहां... मन कबूतर पंख पसारता यहां... विष्वास की मजबूत डोर से बंधे हैं सभी... निराषा की जगह यहां नहीं है नहीं... ये रोषनी हमारे लिए है... हमारे लिए है... ये खुषियां हमारे लिए है... हमारे लिए है...

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