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आज फिर 5 सवाल कुलबुला रहे उंगली के निशान पर... नंबर 1 सब कुछ तो तुम कह देते हो कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों हमें तुम...
Posted by Mohan Thanvi on Wednesday 1 May 2024
आज फिर 5 सवाल कुलबुला रहे उंगली के निशान पर... नंबर 1 सब कुछ तो तुम कह देते हो कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों हमें तुम...
Posted by Mohan Thanvi on Wednesday 1 May 2024
... और हम जागते रहते सारी दोपहर,
पारे की छलांग 45 पार, भट्टी - सा ताप
- मोहन थानवी
मरुधरा की दिनचर्या ही यहां के बाशिंदों की जीवटता की बानगी है। तवे - सी तपती सड़कों पर आवाजाही का सिलसिला मानो थमता नहीं। मौसम की मार के चलते सरकारी कार्य भले ही मरीचिका सदृश्य लगते हों किंतु निजी क्षेत्र और सामाजिक जीवन के केनवास पर अनिवार्यता की तूलिका को रंग भरने ही पड़ते हैं। बीत रहा सप्ताह भट्टी- सी तपिश का अहसास करा चुका। बीते दिनों 45 डिग्री सेल्सियस पार तक पहुंच चुके तापमापी के पारे ने कूलर पंखों को भी पस्त कर दिया। ए सी से सजे कमरों में भले ही राहत मिलती रही लेकिन वहां भी बाहर पड़ रही गर्मी का अहसास पसीने छुड़ाने वाला ही रहा। ऊपर से बैरन बिजली की आंखमिचौली ने विशेष तौर ग्रीष्मावकाश का आनंद ले रहे बच्चों को हैरान-परेशान किया। ऐसे में सुबह - शाम पार्क चहल पहल वाले तो रहे किंतु तपी हुई हवा बच्चों के खेल में बाधा ही बनी रही। फिर भी सुबह सुबह नागौरण के साथ उड़ती धूल के बीच खुली जगहों पर किशोरों और युवाओं ने बैट - बॉल को संभाल ही लिया। नागौरण यानी दक्षिणी हवा। जो यहां के मौसम को प्रभावित करती है। इसी नागौरण की वजह से रात से ही फिजां में घुली रेत के कारण सूर्योदय से ही सूरज अपनी किरणों की तपिश को जमीन तक पूरी तरह से तो नहीं ही भेज सका बावजूद इसके तपी हवा की बानगी बीते दिनों की तरह ही बरकरार रही।
तिथि-वार कोई भी हो, पब्लिक पार्क स्थित शनिदेव के मंदिर सहित तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतार भी अपेक्षित ही मिलती है। गौशालाओं में गायों को गुड़ और दूसरी चीजें उपलब्ध करवाने वाले भी रोज की तरह नजर आए। वहीं पार्क में दीवार पर चार - छह कौए भी ग्रास खा कर किसी की श्रद्धा को स्वीकार कर रहे थे।
यहां से कलेक्ट्रेट, जूनागढ़, सार्दूलसिंह सर्किल, चौतीनां कुआं,महात्मा गांधी मार्ग आदि क्षेत्र बीते दिन की लपटों भरी गर्मी के अहसास को भुलाकर आज के दिन की अगवानी में पलक पावड़े बिछाते हुए मिले। कोई दुकान खुल रही थी तो कहीं कोई सामान सजा कर खोमचा लगाने, ठेलों-गाड़ों पर फल और शीतलपेय आदि सामान सजाने की तैयारियां भी पूरी थी ।
घड़ी की टिक टिक के साथ हमेशा धड़कते रहने वाले शहर का हृदय स्थल कोटगेट भी दिन का स्वागत करने को सजना आरंभ हो चुका। ऐतिहासिक कोटगेट के द्वार पर बिराजमान श्रीगणेशजी के दर्शन करते आने जाने वालों के जय गणेश... उद्घोष से यहां मन पार्क की सैर से मिले आनंद से भी अधिक आनंद से भर गया और प्रफुल्लित हो उठा। ये लो, किसी रेलगाड़ी के आने या जाने के कारण रेल फाटक भी बंद हो गया और लगने लगी फाटक के दोनों ओर कतार... रोज की तरह... हो गई दिन की शुरुआत। सुप्रभात।
गर्मी की दोपहर....
दोपहर में होता खिलौना साथ
दीवारों की ओट हांफती चिड़िया आ जाती हमारे आंगन में ढूंढ़ लेती पानी
नानी कहती, इसे संभालना बेटी
कहीं बिल्ली न खा जाये
और हम जागते रहते सारी दोपहर
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