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डूँगर कॉलेज में विभाग स्तरीय क्वालिटी मूल्यांकन समिति (डीएलक्यूएसी) द्वारा वर्कशाप का आयोजन किया गया* *73 कॉलेज प्राचार्य एवं आईक्यूएसी समन्वयकों को दिया प्रशिक्षण*
























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*डूँगर कॉलेज में विभाग स्तरीय क्वालिटी मूल्यांकन समिति (डीएलक्यूएसी) द्वारा वर्कशाप का आयोजन किया गया* 
*73 कॉलेज प्राचार्य एवं आईक्यूएसी समन्वयकों को दिया प्रशिक्षण*

बीकानेर, 25 जनवरी। राजकीय डूंगर कॉलेज में गुरुवार को संभाग की डीएलक्यूएसी द्वारा ‘‘नैक ए एवं ए’’ विषय पर प्रथम बार राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन विभाग के चेयरमैन एवं प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा डॉ. इन्द्र सिंह राजपुरोहित, समन्वयक डॉ. दिव्या जोशी एवं संयोजक डॉ. नरेन्द्र भोजक द्वारा किया गया। 
चार सत्रों में आयोजित कार्यशाला में डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि संभाग में चार जिले, बीकानेर, श्रीगंगानगर, चूरू एवं हनुमानगढ में स्थापित सभी कॉलेजों की जिम्मेवारी डीएलक्यूएसी की है। गुरुवार को संभाग के 73 राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्यों एवं आईक्यूएसी कोर्डिनेटर को प्रशिक्षण दिया गया। सहायक निदेशक डॉ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित ने आईक्यूएएसी की आवश्यकता एवं कॉलेज विकास में इसकी भूमिका व महत्ता को उदाहरणों द्वारा समझाया। डॉ. हेमेन्द्र भंडारी ने स्वागत अभिभाषण में कार्यक्रम रूपरेखा बतायी। डॉ. देवेश सहारण ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. नरेन्द्र भोजक ने नैक की भूमिका पर पावर पाइन्ट के माध्यम से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, 7 क्राईटेरिया, 134 की इडिकेटर गुणात्मक एवं मात्रात्मक सूचको के बारे में सूक्ष्म जानकारी देते हुए बताया कि एनईपी 2020 का नैक मे समावेश शिक्षण विद्यार्थी संस्था एवं समाज के लिए न केवल बहुउपयोगी है वरन् राष्ट्रीय उत्थान के लिए आवश्यक है। 
द्वितीय सत्र की मुख्य वक्ता डॉ. दिव्या जोशी ने नैक प्रत्यानन से संबंधित सातों क्राईटेरिया पर मूल्यपरक जानकारी दी। डॉ. जोशी ने बताया कि टीचिंग-लर्निंग नैक का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। एक शिक्षक के कर्तव्य कक्षा में शिक्षण से शुरू हो जाते हैं एवं विद्यार्थी की आवश्यकता परिस्थिति, परिणाम निर्धारण से होते हुए शिक्षणोंपरान्त जीवन पर्यन्त शिक्षक के साथ जुडे रहते हैं। यह विवेकानन्द के कर्तव्य बोध का मूल मंत्र है। इसके लिए शिक्षक को शिक्षा स्थल पर मात्र शैक्षणिक कार्य ही नहीं वरन संस्था विकास के समग्र कार्यों पे समय देना होता है।
कार्यशाला में बीकानेर, गंगानगर, चूरू, हनूमानगढ के 46 प्रतिभागी उपस्थित थे । समिति सदस्य डॉ. रवि परिहार, डॉ. सीताराम चाहलिया, डॉ. सरोज अमेरिया व डॉ. अर्चना पुरोहित ने समस्त कार्य में सहयोग किया। डॉ. रवि परिहार ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।



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