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मरुधरा को गुजरात जैसे गवर्नेस की इच्छा



















मरुधरा को गुजरात जैसे गवर्नेस की इच्छा

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व उनके दो उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी - डॉ. प्रेमचंद बैरवा के शपथ ग्रहण समारोह के बाद प्रदेश की जनता को बहुत उम्मीद बंध गई है। मरुधरा का हर नागरिक सरकार परिर्वतन के साथ ही व्यवस्था में भी बदलाव की उम्मीद के साथ ही सरकार से विश्वास रखता है कि राज्य में भाजपा की सरकार के मुखिया जमीनी कार्यकर्ता होने के कारण आमजन की भावनाओं को ध्यान में रख कर व्यवस्था में बदलाव का भरसक प्रयास करेंगे। 


मुख्यमंत्री ने पुराने टेंडर पर रोक लगाकर कठोर निर्णय लिए है। वहीं एसएमएस अस्पताल का जायजा लेकर आमजन के दर्द को पहचानने का काम किया है। जब भी किसी राज्य में सत्ता का परिर्वतन होता है तो पूर्ववती मुख्यमंत्री कार्यालय अथवा सचिवालय में कैबिनेट मंत्रियों के कार्यालयों को नेताओं के करीबी या उनके सहयोगी अपनी निजी महत्वाकांक्षा का केंद्र बन जाता है। 

हर कर्मचारी और अधिकारी नई व्यवस्था में स्वयं को फिट करने के लिए अपनी पुरानी गलती को भुलाकर भविष्य की राह टटोलने की कोशिश में जुट जाते हैं।

राजस्थान की जनता केवल राज ही नहीं बदलना चाहती थीं। वह व्यवस्थाओं और प्रशासनिक व्यवहार को भी बदलने का मन रखती थी, लेकिन सत्ता में रहे नेताओं ने आमजन की जरूरत को कभी महसूस नहीं किया और लगातार जनभावना को नजर अंदाज करते रहे। पहले राजस्थान में चाहे किसी का भी राज रहा हो।


 सरकारें नियमित रूप से कैबिनेट बैठकों की अपेक्षा करती रही है, जबकि गुजरात में हर सप्ताह कैबिनेट की बैठक बुधवार को तय होती है। साथ ही सोम, मंगल, बुधवार को सभी मंत्री सचिवालय में बैठ कर जनप्रतिनिधियों, नेताओं व आमजन की समस्याओं का समाधान करते हैं तथा अन्य चार दिन अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में रहकर लोगों से संवाद कायम कर उनके सुख-दुख में भागीदार होने के साथ विकास पर चर्चा करते हैं।


 राजस्थान में ऐसा कोई टाइम टेबल नहीं रहा, सब अपनी मनमर्जी करते रहे हैं। राजस्थान में मंत्री और विधायक लंबे समय तक ट्रांसफर और पोस्टिंग में समय बर्बाद करते रहे हैं, इसके नाम पर भ्रष्टाचार की बू भी आती रही है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के गृह राज्य गुजरात में कंप्यूटराइज तरीके से अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यकाल, प्राथमिकता व जरूरत के आधार पर उनकी नियुक्ति की सूची, सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन अपडेट होती रहती है।


 शराब और बजरी के ठेके राजस्थान की कानून व्यवस्था को खुली चुनौती देते रहे हैं जो प्रदेश में गैंगवार का मुख्य कारण बन गए हैं। जबकि गुजरात में शराबबंदी होने के कारण कानून व्यवस्था काफी हद तक नियंत्रण में रही है।

अधिकारी एवं निजी सहयोगी, जाति, आर्थिक लाभ और प्रभाव के आधार पर नियुक्त होने के कारण कार्यक्रम व्यवस्थित तरीके से संपन्न नहीं कर पाते हैं। उनके कार्यालय में संपर्क करने वाले व्यक्ति व नागरिक से बददिमागी और उपेक्षा से बात करने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। जबकि योग्यता व अनुभव के आधार पर कार्य की जिम्मेदारी सौंपी जाए तो कार्यालय के कुशल प्रबंधन के साथ सरकार की नीतिगत घोषणा और उसका अमल परिणाम दायक भी होता है।

 नई सरकार से नागरिकों को केवल चेहरे बदले जाने की उम्मीद नहीं है बल्कि संपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन और प्रदेश के अंतिम छोर पर बैठे कमजोर व जरूरतमंद व्यक्ति तक सरकारी योजना का लाभ एवं सुरक्षा पहुंचने की उम्मीद सतत रहेगी। राजस्थान में पहली बार आम कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है इसलिए मरुधरा के हर वासी को भजन लाल सरकार से कुछ ज्याद ही उम्मीद है इस बार राज्य की भाजपा सरकार में अनुभवी और युवा विधायको को मंत्री पद मिलने की संभावनाओं के कारण राज्य के हर व्यक्ति को कुछ ज्यादा ही आशा है। सरकार से उम्मीदों की झलक का

पहला उदाहरण भजन लाल सरकार के प्रथम बजट में देखने को मिलेगा।

उमेंद्र दाधीच
@ बिजनेस रेमेडीज



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