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बैक्टीरिया संक्रमण की पूरी पड़ताल कर ही एंटीबायोटिक दवाएं प्रिसक्राइब करें चिकित्सक : डॉ सुरेंद्र वर्मा

















*बैक्टीरिया संक्रमण की पूरी पड़ताल कर ही एंटीबायोटिक दवाएं प्रिसक्राइब करें चिकित्सक : डॉ सुरेंद्र वर्मा*

*एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस को लेकर वेबीनार आयोजित*

बीकानेर, 23 नवंबर। ओपीडी के दौरान आए मरीज की आवश्यक जांच और पड़ताल के बाद यदि बैक्टीरियल इनफेक्शन की वजह स्थापित होती है तो ही एंटीबायोटिक दवाएं प्रिसक्राइब करें नहीं तो ये अति आवश्यक दवाइयां आने वाले समय में कभी भी उपयोग नहीं कर पाएंगे। यह सलाह सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष सीनियर प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र कुमार वर्मा द्वारा स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों को दी गई। वह एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस जागरूकता सप्ताह को लेकर आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रहे थे।


 उन्होंने अनर्गल, अत्यधिक, अनावश्यक और तय डोज से कम एंटीबायोटिक का उपयोग करना खतरनाक बताया। साथ ही माइक्रोबायोलॉजी स्तरीय जांच सेवाओं के सुदृढ़ीकरण, हाइजीन व सेनिटेशन स्तर को सुधारने की वकालत की ताकि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध कम से कम हो। 

उन्होंने बताया कि जीन म्यूटेशन व अन्य गतिविधियों द्वारा बैक्टीरिया अपनी जैविक क्षमता का विकास करता है इसी प्रकार अन्य फंगल व परजीवी भी दवाईयों के प्रति अपनी क्षमताएं बढ़ा लेता है और धीरे-धीरे यह दवाएं अपना असर खो देती है जो कि वैश्विक स्तर पर एक बड़ी खतरे की घंटी है। 


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पंवार ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाई निशुल्क दवा के रूप में उपलब्ध है इसका अर्थ यह नहीं है कि इसका दुरुपयोग हो। 

उन्होंने आगामी मौसम परिवर्तन के दौरान होने वाले छींक, जुकाम, खांसी जैसे मामलों में एंटीबायोटिक दवाओ को प्रिसक्राइब करने से बचने की सलाह दी क्योंकि यह अधिकांश मामले वायरल ही होते हैं। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि लक्षणों में सुधार होने के बाद भी मरीज एंटीबायोटिक दवाइयों का कोर्स पूरा अवश्य करें।


डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से संबंधित पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। उन्होंने सप्ताह के दौरान विद्यालयों, महाविद्यालयों,चौपाल पर तथा कार्यालय में जागरूकता गतिविधियां आयोजित कर यह संदेश एएनएम आशा व आम जनता तक पहुंचाने के निर्देश दिए।


 बीसीएमओ नोखा डॉ कैलाश गहलोत ने हायर एंटीबायोटिक की बजाय पूर्व में प्रचलित रही डॉक्सीसाइक्लिन-सिप्रो जैसी एंटीबायोटिक की आवश्यकता पड़ने पर उपयोग की वकालत की ताकि तीव्र संक्रमण के समय हायर एंटीबायोटिक का उपयोग किया जा सके।


 वेबीनार में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वीलेंस मेडिकल ऑफिसर डॉ अनुरोध तिवारी, डीपीसी मालकोश आचार्य, समस्त ब्लॉक सीएमओ सीएचसी, पीएचसी, यूपीएससी के चिकित्सक, सीएचओ सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी शामिल हुए।

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