इनका अब आगामी चुनावों तक जन समस्याओं को रहेगा इंतजार...
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रचार का सिलसिला अब विश्राम पर है। शोर थम चुका है। प्रचारकों का दौरा भी थमा हुआ है। स्टार चेहरे अब अपने अन्य कार्यों में जुट चुके हैं। ऐसे में लोगों का यह कहना है की लोकल को वोकल होने का यही समय है। यही सही समय कि हमारे स्थानीय नेता अपने-अपने क्षेत्र में हम मतदाताओं से मिलें। क्योंकि आम मतदाताओं से रूबरू होकर परीक्षा देने का यह एक दिन दो रात का समय है। 25 नवंबर मतदान दिवस तो कार्यकर्ताओं की परीक्षा है।
यह भी सच है कि बीते दिनों से स्टार चेहरों के साथ-साथ हमारे अपने शहर के नेता भी विधानसभा में जाने के लिए लोगों से वोट मांग रहे थे। लेकिन अब प्रचार की अवधि समाप्त हो जाने के बाद लोगों से खुद मिलने पहुंच कर उनकी समस्याएं जानने का यह अवसर उनके लिए एक परीक्षा के समान है।
क्योंकि 5 साल तक तो नेताजी के पास ही लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते रहे। नेताजी चाहे तो जिससे मिले और ना चाहे तो ना भी मिले।
अब नेताजी की मंशा प्रतिद्वंद्वी से कई गुना अधिक वोट पाकर शान से विधानसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने की है। लोग दबी जुबान में बुदबुदाते मिल रहे हैं की इस एक दिन दो रातों की परीक्षा का परिणाम तो 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
बहरहाल 10 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से लेकर प्रचार थमने तक अधिकांश लोगों तक स्टार चेहरों की बातें ही पहुंची क्योंकि मीडिया और सोशल मीडिया के तमाम माध्यमों में हमारे अपने स्थानीय नेताजी को जगह ना के बराबर उपलब्ध हुई। अब आ गई बारी हमारे नेता जी की। यह भी सच है कि आने वाले 5 साल तक हमारे अपने बीच हमारे अपने नेताजी ही तो होंगे। चुनाव में जीते चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से हों। हैं तो हमारे ही।
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