राजस्थान : पचास साल बाद "अंत्योदय"...!!
1980 के चुनाव में जनता पार्टी के राज्य में शुरू हुई अंत्योदय योजना देश भर में चर्चा में रहीं। इस योजना के जनक भैरो सिंह शेखावत अपनी सरकार की वापसी नहीं करा पाए...
राजस्थान में वर्ष 1993 में भाजपा ने जनता दल और कुछ निर्दलियों के सहयोग से भैरो सिंह शेखावत के नेतृत्व में सरकार बनाई।
इस समय कांग्रेस की तरफ से नाथूराम मिर्धा, परस राम मदेरणा, पंडित नवल किशोर शर्मा मुख्यमंत्री की दौड़ में थे परंतु सबसे ज्यादा निर्दलीय यानी कांग्रेस के बागी नवल किशोर शर्मा के समर्थक ही जीत कर आए और नवल किशोर शर्मा के मुख्यमंत्री नहीं बनने की संभावना पर भाजपा के खेमे में शामिल हो गए।
डा. रोहिताश कुमार, ज्ञान सिंह चौधरी, शशि दत्ता, नसरू खां को सरकार में सम्मान मिला। भाजपा की सरकार में पुष्कर से से विधायक बने रमजान खान को मंत्री बनने का अवसर मिला। रमजान खान भैरो सिंह शेखावत के प्रबल समर्थक रहें है।
भाजपा की सरकार में जिस प्रकार से रमजान खान का दबदबा रहा उसी प्रकार महिला विधायकों में पाली की विधायक पुष्पा जैन भी प्रभावी रही, लेकिन उन्हे पर्यटन मंत्रालय के अलावा और कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिला जबकि सांगानेर से भाजपा विधायक रही विद्या पाठक आबकारी जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभाल चुकी थीं। वर्ष 1977 में पहली बार जनता पार्टी की सरकार बनने पर कोटा के ललित किशोर चतुवेर्दी को महिला कल्याण विभाग भी मिला।
जिस प्रकार से वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सात गारंटी चुनावी मुद्दा बनी उसी प्रकार 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के राज्य में शुरू हुई अंत्योदय योजना देश भर में चर्चा में रहीं।
इस योजना के जनक भैरो सिंह शेखावत अपनी सरकार की वापसी नहीं करा पाए लेकिन उनके द्वारा शुरू की गई इस योजना को देश भर में पहचान मिली।
इस बार भी कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं में चिरंजीवी योजना, अन्नपूर्णा योजना, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, महिलाओं को निशुल्क मोबाइल वितरण योजना, ओल्ड पेंशन योजना चर्चा में रहीं।
इस बार के चुनाव में भाजपा के कुछ प्रत्याशियों ने अपने ही स्तर पर मतदाता को रिझाने में कोई कमी नहीं छोड़ी कुछ प्रत्याशियों ने तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं को लुभाने के लिए उस क्षेत्र के पुराने नामों को बदलने का भी शिगूफा छेड़ा है।
इस बार के चुनाव में विकास घोषणा पत्र के वायदे मुद्दा नहीं बनकर तुष्टिकरण, पुष्टिकरण मुख्य मुद्दा बना रहा।
उमेंद्र दाधीच कंचन केसरी
write views