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मुआवजा चुनावी, मजाक भी - राष्ट्रीय गाय आंदोलन









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मुआवजा चुनावी, मजाक भी - राष्ट्रीय गाय आंदोलन

राष्ट्रीय गाय आंदोलन राजस्थान बीकानेर के पदाधिकारियों ने सरकार को आपत्ति पत्र प्रेषित कर लंपी रोग से देवलोक हुई गायों के मुआवजे को चुनावी और मजाक करार दिया है। 

गो गांव स्वालंबन यात्रा व राष्ट्रीय गाय आंदोलन राजस्थान के संयोजक चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने कहा कि - 
    राजस्थान सरकार के द्वारा लंपी रोग से दिवंगत हुई गौमाता के मुआवजे के रूप में किसानों, गोपलकों के साथ जो मजाक किया गया, उससे राजस्थान सरकार की मन्सा का पता लगता है, सरकार मात्र अपने चहेते कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव के लिए लंपी रोग को आधार बनाकर चुनावी खर्च के रूप में 40 ₹40 हजार रुपए बांटे गए हैं। इससे वास्तविक गोपालक, किसान जिसकी, गाय लंपी में देवलोक हुई, उसे इस मुआवजे का लाभ नहीं मिला।
      पूरे राजस्थान में लाखों गोवंश लंपी रोग के कारण काल का ग्रास बना। परंतु राज्य सरकार ने मात्र 41000 गोवंश का ही मुआवजा दिया, जोकि सरासर किसानों, गोपालको के साथ मजाक है।
       गाय गांव स्वावलंबन यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने लम्पी से गोलोक सिधारी गोवंश के मुआवजे के लिए लुणकरणसर,डुंगरगढ,नोखा तहसील के 318 गांवो में नुक्कड़ सभा करके तीनों जगह ज्ञापन दिया ।
     गांवों में गोपालको से गाय गांव स्वावलंबन यात्रा के दौरान जो सूचनाएं एकत्रित की गई थी उसके अनुसार लुणकरणसर के गांव शेखसर में करीब 4000 , शेरपुरा गांव में 5000 से अधिक गोवंश गोलोक सिधारा है । ज्ञात हो इन गांवों में गोपालको के पास 10 व 12 हजार से अधिक गोवंश रहता है ।इस तरह बीकानेर जिला गाय बाहुल्य जिला है । जिसमें लुणकरणसर क्षेत्र में 10 हजार गोवंश पालने वाले 25 से अधिक गांव है । क्षेत्र के हर गांव में 500 ,1500 , 2000 ,2500 गोवंश गोलोक सिधारा है।
      इस तरह डुगरगढ के गुसांईसर बड़ा में 4000 से अधिक गोवंश गोलोक सिधारा है । ज्ञात हो इस गांव में 12000 से अधिक गोवंश पाला जाता है । इस तरह गांव शेरूणा , लाखासर , सहित सभी गांवों में 500 से लेकर 2500 तक गोवंश गोलोक सिधारा है ।
     नोखा के सबसे बड़ा गांव जसरासर में 8000 से अधिक गोवंश गोलोक सिधारा है । ज्ञात हो इस गांव में 20000 से अधिक गोवंश पाला जाता है । इस तहसील में हर गांव में हज़ारों की संख्या में गोवंश गोलोक सिधारा है ।
      *जानकारी मिली है कि सरकार ने पुरे जिले में मात्र 2600 गोवंश का मुआवजा पास किया है ।*
     पुरे राज्य में मात्र 41 हजार गोवंश का 175 करोड़ मुआवजा दिया है ।
    यह गोपालको के साथ धोखा व शर्मनाक मजाक है। विडंबना यह है कि इसी सरकार ने लंपी रोग के दौरान अपने सरपंचों को लंपी से दिवंगत गोवंश को समाधि देने के लिए प्रति गाय 3500 रूपए दिए हैं ।
सरकार ने ना तो लंपी से मृत गोवंश के पोस्टमार्टम करवाया, बिना पोस्टमार्टम के किस आधार पर 41000 गोवंश का मुआवजा बांटा गया। और जब मुआवजा बांटने की सूचियां बनी उस सूची का भी किसी भी ग्राम वासी को पता नहीं था, कि लंपी रोग से मृत गोवंश का मुआवजा दिया जाएगा। उसे फॉर्म भरना है, अथवा किस प्रकार, इसके लिए आवेदन करना है। 
     सरकार ने आम जनता को अंधेरे में रखकर मात्र अपने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए इस मुआवजा की बंदरबांट की है।
या तो सरकार राजस्थान में लंपी के दौरान मृत सभी गोवंश को मुआवजा देवें अन्यथा हम सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
    आज इस प्रतिनिधिमंडल में प्रेम सिंह घुमांदा, कानाराम हिम्मटसर , हरिकिशन गोदारा, पार्षद अनुप सिंह गहलोत , रामकृष्ण ज्याणी , धुड़ा राम कुचोर , कोजु नाथ बम्बलु , एड जलज सिंह आदि ने भाग लिया* ।

         



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