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लूणकरणसर में हुआ खरीफ फसलों में समन्वित पोषक तत्त्व प्रबंधन" विषय पर संस्थागत प्रशिक्षण
लूणकरणसर में हुआ खरीफ फसलों में समन्वित पोषक तत्त्व प्रबंधन" विषय पर संस्थागत
प्रशिक्षण
बीकानेर लूणकरणसर
कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के अंतर्गत " खरीफ फसलों में समन्वित पोषक तत्त्व प्रबंधन" विषय पर एक दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण का आयोजन किया गया, जिसमें खाजूवाला तहसील के 28 अनुसूचित जाति कृषकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर प्रोफेसर अरुण कुमार ने की तथा विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय साबौर प्रोफेसर अजोय कुमार सिंह रहे तथा इस अवसर पर निदेशक प्रसार शिक्षा स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर प्रोफेसर सुभाष चंद्र भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर प्रोफेसर अरुण कुमार ने किसानों से किसान उत्पादक संघटन बनाकर एकजुट होते हुए अधिक लाभ प्राप्त करने का आह्वाहन किया। उन्होंने बताया कि संघटन में शक्ति है, किसान यदि एकजुट होकर खेती करें, तो वे अपनी फसल का उचित मूल्य स्वयं तय कर सकेंगे, साथ ही नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त कर मूल्य संवर्धन से अपनी फसलों से अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र को विश्वविद्यालय और किसानों के बीच की कड़ी बताया तथा सभी वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वे अधिक से अधिक किसानों के साथ मोबाइल तकनीकी के माध्यम से जुड़े और जानकारियां सांझा करें । विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अजोय कुमार सिंह ने कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया तथा कृषि तकनीकों के प्रसार में कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड के समय जब सभी उद्योग बंद हो रहे थे उस समय एकमात्र हमारी कृषि और किसानों ने ही अर्थव्यवस्था को संभाला था। उन्होंने किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के साथ जुड़कर नवीन कृषि तकनीकी को अपनाकर कृषि नवाचार हेतु प्रेरित किया। निदेशक प्रसार शिक्षा, प्रोफेसर सुभाष चंद्र ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा हर बुधवार को किसानों के खेत पर किसान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें किसानों की समस्या के आधार पर प्रशिक्षण एवं चर्चा किया जा रहा है। केंद्र प्रभारी डॉ. मदन लाल रैगर ने किया, उन्होंने माननीय अतिथियों को कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों से अवगत करवाया तथा इस अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के विषय में भी जानकारी दी। तत्पश्चात मृदा वैज्ञानिक भगवत सिंह ने समन्वित पोषक तत्त्व प्रबंधन के विषय में विस्तृत जानकारी दी जिसमें उन्होंने बताया कि फसलों को 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए खाद एवं उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर मृदा उर्वरता एवं मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर बल दिया । इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार ने प्रगतिशील किसानों से अपने अनुभव साँझा करने का अनुरोध किया, जिस पर जसविंदर सिंह और परमानन्द ने बताया कि वे कृषि विज्ञान केंद्र के साथ जुड़कर तकनीकी जानकारी नियमित रूप से ले रहे हैं, जिससे सरसों और मूंग की उत्पादकता भी बढ़ी है । तत्पश्चात अतिथियों ने लूणकरनसर के प्रगतिशील किसान सहीराम गोदारा के फार्म का भी भ्रमण किया तथा उनके संरक्षित खेती में की जा रही खीरे की फसल का अवलोकन किया। इस अवसर पर गोदारा ने बताया कि 2012 में इजराइल के एक्सपोज़र विजिट के बाद ही उन्हें संरक्षित खेती की प्रेरणा मिली और लूणकरणसर में इसकी शुरुआत करने वाले वे प्रथम किसान हैं जिनसे प्रेरणा लेकर आज 9 अन्य किसान भी इसे अपना चुके हैं । माननीय कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार, प्रोफेसर सिंह एवं डॉ. सुभाष चंद्र ने श्री गोदारा के प्रयासों की सराहना की । इस कार्यक्रम में उद्यान वैज्ञानिक डॉ. नवल किशोर ने भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋचा पंत ने किया तथा श्री. भागवत सिंह ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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