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संस्कारों की पाठशाला है कवि चौपाल :- क़ासिम बीकानेरी









संस्कारों की पाठशाला है कवि चौपाल :- क़ासिम बीकानेरी

बीकानेर 9 अप्रैल 2023
"कवि चौपाल में आकर आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है। प्राकृतिक वातावरण में कविता पाठ करने से मन प्रसन्न हो जाता है।" यह उद्गार व्यक्त किए वरिष्ठ कवयित्री सरोज भाटी ने। वे सादुल स्कूल भ्रमण पथ पर स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम की तरफ से हर सप्ताह रविवार को सुबह आयोजित होने वाली राष्ट्रीय कवि चौपाल की 408वीं कड़ी की अध्यक्षता कर रही थी।


 संस्था संरक्षक कवि एवं समाजसेवी नेमचंद गहलोत के सानिध्य में आज की कड़ी आयोजित की गई। नेम चंद गहलोत ने अपनी काव्यात्मक सुक्तियों के माध्यम से प्रेरक विचार व्यक्त करते हुए अपनी कविताओं से सार्थक संदेश देकर उपस्थित श्रोताओं से भरपूर वाहवाही लूटी।


   कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि कवि चौपाल संस्कारों की पाठशाला है। यहां आकर नये कवि वरिष्ठ कवियों के जीवन अनुभव एवं काव्यात्मक प्रस्तुतियों से काव्य के संस्कार सीखते हैं।


विशिष्ट अतिथि के तौर पर वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि मैं कवि चौपाल में आकर अभिभूत हो जाता हूं। ऐसा कार्यक्रम पूरे देश और दुनिया में कहीं नहीं होता होगा । यहां आकर जो सुकून मिलता है उसे शब्दों में प्रस्तुत करना बहुत मुश्किल है।


    आज हुई काव्य गोष्ठी में लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी काव्यात्मक प्रस्तुतियों से जहां एक तरफ श्रोताओं का मनोरंजन किया वही अपनी गहरी ज्ञान भरी बातों से श्रोताओं को सोचने विचारने के लिए भी मजबूर किया। 


कवि किशननाथ खरपतवार ने अपनी कविता से जहां बीकानेर की सैर करवाई वही हास्य कवि बाबूलाल बम चकरी में अक्षय तृतीया पर आधारित कविता सुनाकर काव्य गोष्ठी में नया रंग भरा।


   कवि गोष्ठी का शानदार आग़ाज़ सरोज भाटी ने 'वीणा वादिनी दर्श दिखा दो/मन वीणा के तार सजा दो' सरस्वती वंदना के साथ किया।


 शायर कासिम बीकानेरी नी अपने इस शहर के जरिए परदेस गए लोगों के मन में वतन का दर्द यूं बयान किया-'याद आती है वतन की हमको/ जब भी उस पार से ख़ुशबू आए।'


वरिष्ठ कवि सरदार अली पड़िहार ने एक से दस तक गिनती पर आधारित कविता 'एकोएक एक गेडियो' के माध्यम से बच्चों में कविता के संस्कारों का पौधारोपण किया।


शायर हनुमंत गौड़ 'नज़ीर' ने 'मुझको तो इस तरह से जीने में क्या मज़ा/नाकामयाबियों पर रोने में क्या मिला' शे'र के माध्यम से श्रोताओं से भरपूर तारीफ़ें पाई।


आज के कवि लीलाधर सोनी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए अपने सुंदर गीत 'पिया थारी याद में बीते मांझल रात रै' के ज़रिए बिरयानी के दर्द की कलात्मक अभिव्यक्ति दी।


कवि शमीम अहमद शमीम ने अर्श पर है आफताब जमीन है रोशन रोशन रचना के माध्यम से आध्यात्मिक विचार प्रस्तुत किए। कवि शिव प्रकाश शर्मा ने 'तपतपाती गर्मी में पेड़ों की तूती बोले है' रचना के ज़रिए ग्रीष्म ऋतु का चित्रण किया। वरिष्ठ कवि लक्ष्मी नारायण आचार्य ने 'देव अर महापुरुषों ने लिया यहां अवतार' कविता के ज़रिए कार्यक्रम को परवान चढ़ाया।


वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल. नवीन ने अपने नाट्य संस्मरण सुना कर पुराने दौर की यादें ताज़ा करवा दी।


राजकुमार लखोटिया ने सुमधुर बांसुरी वादन करके कार्यक्रम में काव्य से इतर नया रंग भरा। धर्मेंद्र कुमार धनंजय ने शिव महिमा प्रस्तुत की। युवा कवि गिरीश खत्री ने दो कवियों के बीच कन्वर्सेशन है भाषा, सलीम अहमद ने चंद लम्हों में जीवन का सार समझ में आया रचना सुनाकर श्रोताओं से भरपूर तालियां बटोरी।


  कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी का स्वागत है  गोपाल स्वर्णकार ने किया जबकि अंत में आभार ओम प्रकाश भाटी ने ज्ञापित किया। संचालन लीलाधर सोनी ने किया।




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