Type Here to Get Search Results !

ये किसान जीत गए, मेले में हुई थी प्रतियोगिताएं, वीरेन्द्र बेनीवाल बोले - टिकाऊ खेती के लिए पशुपालन लाभकारी




-




-


...






औरों से हटकर
सबसे मिलकर

Home / Bikaner / Latest / Rajasthan / Events / Information

© खबरों में बीकानेर 

https://bahubhashi.blogspot.com
https://bikanerdailynews.com
®भारत सरकार UDAYAM REGISTRATION NUMBER RJ-08-0035999

*खबरों में...*🌐







🖍️

-




--
ये किसान जीत गए, मेले में हुई थी प्रतियोगिताएं, वीरेन्द्र बेनीवाल बोले - टिकाऊ खेती के लिए पशुपालन लाभकारी- 

बीकानेर, 28 मार्च। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय और उप निदेशक, कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के स्टेडियम प्रांगण में ‘‘पोषक अनाज, समृद्ध किसान’’ विषय पर आयोजित किसान मेले के दूसरे दिन मंगलवार को पशुपालन दिवस के रुप में मनाया गया। 

किसानों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री वीरेन्द्र बेनीवाल, पूर्व मंत्री, गृह एवं यातायात, राजस्थान सरकार ने कहा कि टिकाऊ खेती के लिए पशुपालन लाभकारी है, जो न केवल आय का अतिरिक्त स्त्रोत है, अपितु प्राकृतिक खेती में मददगार है। केवल खेती पर निर्भरता किसान के आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकती है। अतः किसान को शहद उत्पादन, कुक्कुट पालन, मशरुम उत्पादन आदि आय के अन्य स्रोतों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया में जैविक कृषि तथा मोटे अनाज की बात चल रही है, परन्तु आय से ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक हैं, तभी हम जैव उत्पादों तथा पौष्टिक मोटे अनाज को प्रोत्साहित कर सकते हैं। 


विशिष्ट अतिथि के रुप में किसानों को सम्बोधित करते हुए श्री लाल चन्द आसोपा, प्रधान, पंचायत समिति, बीकानेर ने पेस्टीसाईड्स के उपयोगों को कम करने तथा फसल चक्र को बदलकर खेती करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि खरपतवारनाशियों के उपयोग से दूसरे देशी चारे व चारा घास उगना बन्द हो गयी है जिसकी वजह से पशुओं को पालने में दिक्कत आती है। 


उन्होंने कहा कि जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है, अतः किसानों को जैविक खाद का उपयोग बढ़ाना चाहिए। राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर सतीश कुमार गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसान मेला नवाचारों को प्रदर्शित करने का संगम स्थल है, जिसमें दूर-दूर से नवाचारों को एक स्थान पर लाकर किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

 उन्होंने पशु प्रतियोगिता में पशुपालकों द्वारा लाए गए पशुओं का अवलोकन किया तथा सोजत की बकरी तथा मुर्रा भैंसा कोे पशु मेले में देखकर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इस प्रकार की नस्लों को दिखाने का यह एक सफल आयोजन है। 

उन्होंने कहा कि अब गांव स्तर पर कस्टम हायरिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि छोटे किसान भी उन्नत कृषि यन्त्रों का कम व्यय पर उपयोग कर सके। श्रीगंगानगर से आए प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ श्री कृष्ण कुमार जाखड़ जो गत् 22 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, ने किसानों से रुबरु होकर जल, जंगल और जानवर को बचाने का आह्वान किया। 

उन्होंने कहा कि वह नवाचार के रुप में गत् 8 वर्षों से कृषि अपशिष्टों का उपयोग कर गैसीफायर से बिजली बना रहे हैं तथा 20 अश्वशक्ति की मोटर ट्यूबवैल पर चलाते हैं, जिसमें प्रतिदिन 120 से 140 किलो कृषि अपशिष्ट का उपयोग होता है, जो आसानी से खेत पर मिल जाता है। उन्होंने किन्नू के बायो एन्जाइम बनाए हैं, जिससे घर में पोछा लगाकर मक्खी, मच्छर से निजात मिलती है। 

इसी प्रकार बेलपत्र के बायो एन्जाइम से पोटाश की मात्रा बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डाॅ. अरुण कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की सभी इकाईयों की स्टाल पर किसानों हेतु उपयोगी जानकारी का सार प्रस्तुत किया। 

आज हुई पशुधन प्रतियोगिताओं में बकरी, देशी गाय, भैंसा, ऊंट, मुर्गी श्वान (कुत्ता) की कुल 32 प्रविष्ट्रियां प्राप्त हुई। बकरी पालन प्रतियोगिता में श्री सहीराम, चकरावतपुरा, लूनकरनसर, देशी गाय पालन प्रतियोगिता में श्री सुशील विश्नोई, फूलदेसर, लूनकरनसर, ऊंट पालन प्रतियोगिता में श्री किरताराम, बीछवाल-बीकानेर प्रथम रहे। मुर्गी पालन में राजेश कुमार गाॅव जैतपुरा, राजगढ़ तथा भैंसा पालन में पवन कुमार, बीसलाणा, चूरू सफल रहे।

 महिलाओं की कशीदाकारी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जैसलमेर के गाॅव मंदा की सांकू देवी ने प्राप्त किया। विजेताओं को अतिथि द्वारा पुरूस्कृत किया गया। आज के मेले में लगभग 2000 हजार किसानों ने भाग लिया।

 आत्मा परियोजना के उप निदेशक श्री कैलाश चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए किसानों को खेती के साथ-साथ बागवानी एवं पशुपालन को सम्मलित करने का सुझाव दिया। 

आज हुई विचार गोष्ठी में डाॅ. अमर सिंह गोदारा, सह आचार्य, शस्य विज्ञान विभाग ने चारा उत्पादन, डाॅ. सीमा त्यागी, सहायक आचार्य ने जैविक खेती में बायोगैस संयंत्र की भूमिका तथा डाॅ. रामनिवास ढाका ने पशुओं में थमौेला बीमारी की रोकथाम एवं उपचार पर चर्चा की । 

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाताओं, निदेशकों, कृषि विभाग के अधिकारियों आदि ने भाग लिया । कार्यक्रम का संचालन डाॅ. मंजु राठौड़, डाॅ. सुशील कुमार तथा डाॅ. बृजेन्द्र त्रिपाठी ने किया।

--





--


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies