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तीन पीढ़ी के बहुभाषी रचनाकारों एवं कलाधर्मियों ने लक्ष्मीनारायण रंगा को अर्पित की श्रद्धांजलि-पुष्पांजलि













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तीन पीढ़ी के बहुभाषी रचनाकारों एवं कलाधर्मियों ने लक्ष्मीनारायण रंगा को अर्पित की श्रद्धांजलि-पुष्पांजलि

स्व. लक्ष्मीनारायण रंगा जी की स्मृति में श्रद्धांजलि-पुष्पांजलि कार्यक्रम संपन्न 


बीकानेर 13 मार्च 2023
नगर के कीर्तिशेष हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में आज शाम श्री जुबिली नागरी भण्डार ट्रस्ट के तत्वावधान में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के रचनाकारों द्वारा एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन महारानी सुदर्शना आर्ट गैलरी नागरी भण्डार में रखा गया। 


      श्री जुबिली नागरी भण्डार ट्रस्ट के व्यवस्थापक नंदकिशोर सोलंकी ने बताया कि इस श्रद्धांजलि-पुष्पांजलि कार्यक्रम में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के तीन पीढ़ी के तीन भाषाओं के रचनाकारों एवं कलाधर्मियों ने ने स्वर्गीय रंगा को पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित की।


   श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने उनके जीवन से जुड़े अनेक अनछुए पहलू साझा करते हुए कहा कि वे निरंतर लेखन करते थे और शिक्षा के प्रचार प्रसार में उन्होंने अमूल्य योगदान दिया उनके जाने से मेरे हृदय में भारी वेदना है। वे साहित्य के एनसाइक्लोपीडिया थे।





   श्रद्धांजलि कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री प्रमिला गंगल ने स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण रंगा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि स्नेहपूर्ण व्यवहार में उनका कोई सानी नहीं था। एक बड़े भाई के तौर पर मुझे सदैव उनका भरपूर आशीर्वाद मिलता रहता था । वे मुझे हमेशा नवसृजन के लिए प्रेरित करते रहते थे।



   कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उर्दू शायर ज़ाकिर अदीब ने स्वर्गीय रंगा साहब के साथ जुड़े हुए विभिन्न संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे सभी भाषाओं से समान रूप से प्यार करते थे एवं सभी भाषा के साहित्यकारों को भरपूर प्रेम और स्नेह देते थे। उनका साहित्य हमें रास्ता दिखाता रहेगा।




     श्रद्धांजलि कार्यक्रम में श्री जुबिली नागरी भण्डार ट्रस्ट के व्यवस्थापक नंदकिशोर सोलंकी ने स्वर्गीय रंगा जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे नागरी भंडार द्वारा उनका सम्मान करना संस्था की बहुत बड़ी उपलब्धि है। दूरदर्शिता में उन जैसे लोग बिरले ही होते हैं, शिक्षा को आगे बढ़ाने में दिए गए उनके योगदान को भुलाना मुश्किल है। ऐसे परिवार के लोग सभी को मिलने चाहिए । वे असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे और सांप्रदायिक सद्भाव में उनके जैसी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है।




           नौजवान शायर क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि वे साहित्य की सभी विधाओं में सामान ख़ूबी के साथ सृजन करने वाले एक गुणी साहित्यकार थे। उनका सान्निध्य मिलना हमारे लिए गौरव की बात थी। उनका व्यक्तित्व वटवृक्ष जैसा विशाल था।


नौजवान शायर बुनियाद ज़हीन ने कहां की वे भाषाई अपनत्व की नींव को मजबूत करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार एवं नाटककार थे। कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि वे एक ऐसी भाषाविद थे जो भाषा को परोटना जानते थे। अविनाश व्यास ने कहा कि उन्होंने आजीवन रंगकर्म को शिद्दत से जिया एक सहज सरल व्यक्तित्व के धनी रचनाकार थे। 
संप्रदायिकता को फैलने से रोकना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 




युवा कवि संजय आचार्य वरुण कहा कि उनमें सीखने का भाव था वे एक अनुपम रचनाकार थे और राजस्थानी को राजभाषा बनाने की सबसे पहली मांग उन्होंने ही की थी।राजस्थान उर्दू अकादमी के सदस्य असद अली असद ने कहा कि जब भी उनसे मिलते थे तो वह हमें बेहतर लिखने की प्रेरणा देते थे। डॉ शंकर लाल स्वामी ने कहा कि उनके जाने से मुझे व्यक्तिगत रिक्तता का एहसास हो रहा है। डॉ. नीरज दइया ने कहा कि वे नए लेखकों को उचित मान सम्मान देते थे उन्होंने अपने परिवार को साहित्यिक संस्कार दिए। एड. इसरार हसन क़ादरी ने कहा कि रंगमंच एवं बाल रंगमंच के लिए प्रयास करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


 संस्कृति कर्मी डॉ. मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान ने कहा कि हिंदी विश्व भारती अनुसंधान परिषद से उनका गहरा जुड़ाव था उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व विराट था। व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने कहा कि वे युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत थे वरिष्ठ लेखक राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि वे ऐसी विभूति थे जो सब के साथ घुलमिल जाते थे। कवयित्री मधु शर्मा ने उन्हें सजल नेत्रों के साथ अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वरिष्ठ कवि कथाकार प्रमोद कुमार शर्मा ने कहा कि वे एक ऐसे ऋषि, मनीषी एवं महात्मा थे जो सभी साहित्यकारों की वेदना को पहचानते थे।


 व्यंग्यकार डॉ.अजय जोशी ने कहा कि वे बहुआयामी रचनाकार एवं नेक इंसान थे एवं हमेशा हौसला अफजाई करते थे। कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि ऐसी विभूति का जाना हमारा मार्गदर्शक खोना है हमें उनके साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। नेमचंद गहलोत ने कहा कि वे समाज के सच्चे साहित्य रतन थे। वरिष्ठ रंगकर्मी बीएल नवीन ने कहा कि वे एक देवता तुल्य इंसान थे मेरे लिए पिता तुल्य थे। मधुरिमा सिंह ने कहा कि उन्हें सदैव उनका भरपूर मिलता रहता था।



श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार सरदार अली पड़िहार, अनवर उस्ता, सुधा आचार्य बाबूलाल बमचकरी शारदा भारद्वाज इंजीनियर आशा शर्मा मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी सागर सिद्दीकी ज्ञानेश्वर सोनी वली मोहम्मद गोरी मोइनुद्दीन मुईन, मजीद खान ग़ौरी, हरी किशन व्यास गौरी शंकर सोनी घनश्याम सिंह गंगा विशन बिश्नोई, शेख लियाकत अली, मोतीलाल हर्ष, संतोष शर्मा, गोपाल गौतम, सुरभि संस्थान के गोविंद जोशी, शिव दाधीच रफीक कादरी आनंद छंगाणी डॉ.सीमा जैन, सुशील छंगाणी गिरिराज पारीक रमजानी मुन्नी पर जाना नसीम बानो सहित अनेक प्रबुद्ध जन मौजूद थे।


अंत में 2 मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण रंगा एवं बीकानेर रियासत की राजमाता सुशीला कुमारी जीके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।


कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी अतिथियों द्वारा स्वर्गीय रंगा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रबुद्ध जनों द्वारा स्वर्गीय रंगा जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। श्रद्धांजलि कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार संजय आचार्य वरुण ने किया।



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