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राजस्थानी मोट्यार परिषद का धरना



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राजस्थानी मोट्यार परिषद का धरना, राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता एवं द्वितीय राजभाषा घोषित करने की मांग


बीकानेर, 21 फरवरी। राजस्थान की मातृभाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता एवं द्वितीय राजभाषा घोषित करने की मांग को लेकर मंगलवार को राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ.गौरीशंकर प्रजापत , डॉ.हरिराम विश्नोई, के नेतृत्व में कलैक्ट्रेट के समक्ष धरना दिया गया।


 धरने के पश्चात राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अनेक संघर्षशील संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने केन्द्रीय गृहमंत्री , मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। धरने में साहित्यकारों के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण, पार्षद और व्यापारीगण उपस्थित थे।


धरना स्थल पर सभा को सम्बोधित करते हुए प्रदेश, उपाध्यक्ष डॉ गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने पर ही इसके व्यापक प्रचार-प्रसार का मार्ग प्रशस्त होगा। 


उन्होंने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर आज सभी संभाग मुख्यालयों एवं जिलों पर धरने का आयोजन किया गया है उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता का मसला संपूर्ण राजस्थान की अस्मिता का प्रश्न है। मातृभाषा की मान्यता में राजनीतिक उदासीनता सबसे बड़ा रोड़ा है उन्होंने राजस्थानी भाषा को प्रदेश में शिक्षा का माध्यम बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता से ही यह संभव हो सकेगा।


वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी की मान्यता के बिना हमारा हक दूसरे प्रदेशों के लोग ले रहे हैं सरकार को शुद लेनी होगी कि हमें हमारा हक मिले।



वरिष्ठ साहित्यकार ने कमल रंगा ने कहा कि राजस्थान की कला संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है परंतु सरकार नहीं समझ रही केवल अपना मान बढ़ाने के लिए राजस्थानी संस्कृति का उपयोग करती है जब भाषा की बात आती है तो मौन धारण कर लेती है।


भाजपा नेता .सुरेंद्र सिंह शेखावत ने चेतावनी दी की भाषा बोलने में शर्म करने वालों को अब किसी भी कार्यक्रम में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा उन्होंने भाषा को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने पर बल दिया नई पीढ़ी को राजस्थानी भाषा से जोड़ने के लिए इसकी पाठ्यक्रम में सहभागिता जरूरी है। भाजपा के ही विजय मोहन जोशी ने कहा कि राजनेतावो को हर मंच पर राजस्थानी को ही बढ़ावा देना चाईये, पार्षद सुधा चौधरी ने कहा कि राजस्थानी की अस्मिता को बचाने के लिए हम सबको एक होना पड़ेगा। 


सूरतगढ़ से पधारे हरिमोहन सारस्वत ने कहा कि आगामी राजस्थान दिवस से पहले सरकार को चेत जाना चाईये, अन्यथा युवा अब जाग चुका है, सूरतगढ़ से पधारे मनोज स्वामी ने कहा कि राजस्थानी का आंदोलन अहिंसात्मक रूप से चल रहा है इसको उग्र होने से पहले सरकार को युवाओं की बात सुन लेनी चाईये।


 शोधार्थी सुमन शेखावत ने कहा कि राजस्थानी भाषा मे नेट,पीएचडी,एम ए किये हुए हजारों विद्यार्थी बेरोजगार घूम रहे है
फ़िल्म जगत से पधारे मुकेश कॉमेडियन ने कहा कि जो भी भाषा प्रेमी जिस भी तरह से भाषा के प्रति काम कर सकता है उसे करना चाईये, रामकुमार रोवणजोगो ने राजस्थानी भाषा की मान्यता से पूरे राजस्थान को फायदा होगा, डॉ कृष्णलाल बिश्नोई ने राजस्थानी की महता को दर्शाया । 


राजस्थानी मोटियार परिषद के प्रदेश मंत्री डॉ. हरिराम बिश्नोई ने कहा कि राजस्थानी की मान्यता के मुद्दे को जन जागरण बनाएं जाने की जरूरत है। जन आंदोलन ही किसी मांग को मनवाने में सक्षम है। हमें गांव गांव और ढाणी ढाणी में राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार की अलख जगानी होगी। संभाग अध्यक्ष राजेश चौधरी ने विद्यार्थियों को आव्हान किया कि वे मातृभाषा की मान्यता हेतु एकजुट होकर संघर्ष करें । राम अवतार राजस्थानी भाषा को प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बनाने की मांग की। प्रशांत जैन ने कहा की मान्यता के बिना राजस्थान अस्तित्वहीन है।



इसके साथ ही मंच पर लीलाधर सोनी, हरीश हैरी, राजवीर सिंह बिट्ठू, ओमप्रकाश,रामगोपाल बिश्नोई, रमेश उपाध्याय, मदन दासोड़ी, लोकेंद्र सिंह, गोपाल जोशी, राम शर्मा (कोटा), कृष्णा बिश्नोई ( अमृतसर) सहित अनेक जनप्रतिनिधियों, व्यवसायियों,अभिनेतावो,विद्यार्थियो ने राजस्थानी भाषा की विशेषतावो को इंगित करते हुए मंच को संबोधित किया, 
राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु कोटा,जयपुर,हनुमानगढ़, सूरतगढ़, लूणकरणसर से भाषा हेताळु पधारे।


आंदोलन में किशन मोदी,कमल मारू, हिमांशु टाक, सरजीत सिंह, मुकेश रामावत, राजू नाथ, देवकिशन उपाध्याय, रमेश जोशी, किशन लाल कड़वासरा, मुकेश सिधायच, मनोज, महेंद्र, मोइनुदीन कोहरी, कासिम बीकानेरी, बाबूलाल, चंडीदान सहित अनेक मायड़ भाषा प्रेमियों ने राजस्थानी हेतु मांग उठाई




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