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इस विद्या मन्दिर में किसलिए इकट्ठे हुए दादा-दादी व नाना-नानी...! जानिए पूरी बात
ओमप्रकाश बोले - संस्कृति व संस्कारों के पोषक है दादा-दादी
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इस विद्या मन्दिर में किसलिए इकट्ठे हुए दादा-दादी व नाना-नानी...! जानिए पूरी बात
ओमप्रकाश बोले - संस्कृति व संस्कारों के पोषक है दादा-दादी
गंगाशहर स्थित आदर्श विद्या मन्दिर में शुकवार को दादा-दादी व नाना-नानी सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंम्भ मां सरस्वती के आगे दीप प्रज्जवलन कर हुआ ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता क्षेत्रीय शिशुवाटिका प्रमुख ओमप्रकाश ने बताया कि बालक के पालन पोषण में माता-पिता से भी अधिक भूमिका उसके दादा-दादी की होती है। उन्होंनें प्राचीन समय के अनेक उदाहरणों द्वारा बताया कि पूर्व में किस प्रकार एक शिशु संयुक्त परिवार में रहकर अनेक संस्कार अपने बड़े बुजुर्गो के माध्यम से सीखता था।
उन्होंने बताया कि मनुष्य का विकास तीन श्रेणी में होता है 0 से 5 वर्ष 6 से 15 वर्ष व 16 से जीवन पर्यन्त । इस क्रम में 0-5 वर्ष की अवधि सबके महत्वपूर्ण होती है जिसमे बालक के मन मस्तिष्क का सर्वाधिक विकास हो जाता है अतः इस अवधि में बालक का अच्छे प्रकार से स्वास्थय सुरक्षा इत्यादि का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
बालक को प्रेम, सुरक्षा व विश्वास का सर्वाधिक भाग अपने दादा-दादी मे मिलता है। बालक के साथ हमेशा प्रेम भाव से रहना चाहिए जिससे उनका मन प्रसन्न रहता है व उसका विकास भी तीव्र गति से होता है ।
इस अवसर पर शिशुवाटिका प्रधानचार्या श्रीमती सुमन शर्मा ने सभी मंचस्थ अतिथियों का परिचय करवाया। स्थानीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष मेघराज बोथरा ने सभी आगंतुक अतिथियों व महानुभवों का विद्यालय की ओर से हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया ।
इस अवसर पर कृष्णलाल विश्नोई, दीलदयाल सोनी रूपादेवी जोशी आशीष डागा, मधुबाला शर्मा, सुनिता डागा उपस्थित रहे।
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