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लूणकरणसर में हुआ पोषण वाटिका महाअभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम"


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लूणकरणसर में हुआ पोषण वाटिका महाअभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम"  

“राष्ट्रीय पोषण दिवस” पर पोषण वाटिका महाअभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम" का आयोजन
कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर आज राष्ट्रीय पोषण दिवस के उपलक्ष्य में "पोषण वाटिका महाअभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम" का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के निर्देशानुसार और कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर और इफको संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस अवसर पर 104 प्रतिभागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकीय महाविद्यालय लूणकरनसर की प्रधानाचार्य डॉ अभिलाषा तथा विशिष्ट अतिथि इफको बीकानेर के क्षेत्र प्रबंधक डॉ विजय सिंह लाम्बा थे।इस अवसर पर पोषण-थाली प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्रीमती मंजू वर्मा, श्रीमती कमला, श्रीमती शारदा शर्मा एवं श्रीमती नाज़िया बानो ने पुरुस्कार प्राप्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ. मदन लाल रैगर ने सभी आगंतुकों का स्वागत एवं अभिवादन कर किया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। साथ ही उन्होंने इस वृक्षारोपण महाअभियान एवं राष्ट्रीय पोषण दिवस के विषय में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमारे पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से फलदार वृक्ष अत्यंत लाभकारी हैं, तथा अपने घरों में इन पौधों को लगाने से शुद्ध, रसायनमुक्त फल कम लागत में प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने सभी से एक वर्ष में कम से कम 10 पेड़ लगाने एवं उनकी देखभाल करने का संकल्प लेने का आह्वाहन भी किया। उन्होंने राष्ट्रीय पोषण माह मनाये जाने के उद्देश्य एवं प्रासंगिकता पर भी बल दिया। मुख्य अतिथि डॉ अभिलाषा ने मातृ-शक्ति के स्वास्थ्य के लिए पोषक अनाजों की भूमिका पर जानकारी दी। उन्होंने स्थानीय फसलों जैसे बाजरा, काचरी के उपयोग को बढ़ावा देने की बात भी कही। इफको बीकानेर के क्षेत्र प्रबंधक डॉ विजय सिंह लाम्बा ने कृषि में पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में बताते हुए नैनो यूरिया एवं नैनो डी ए पी की महत्ता पर प्रकाश डाला । केंद्र की खाद्य एवं पोषण विभाग की डॉ. ऋचा पंत ने "संतुलित आहार में फल-सब्ज़ियों की भूमिका" विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक संतुलित पोषण थाली में सभी पोषक तत्त्व संतुलित मात्रा में होने चाहिए। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पोषण माह की थीम "सभी रंगों और स्वाद को आहार में सम्मिलित करना" है। साथ ही उन्होंने पोषण वाटिका लगाने के लिए फसल चक्र, बुवाई के तरीके एवं वाटिका की रूपरेखा विषय पर भी विस्तृत जानकारी दी। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. नवल किशोर ने "सब्ज़ियों में नर्सरी प्रबंधन" विषय पर चर्चा की तथा सब्ज़ियों की अगेती या पछेती खेती कर अधिक मुनाफा प्राप्त करने का सुझाव भी दिया। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक श्री. भगवत सिंह केंचुआ खाद और अन्य जैविक खादों का प्रयोग कर सब्ज़ियों की गुणवत्ता में सुधार के बारे में बताया तथा केंचुआ खाद बनाने की संपूर्ण विधि पर भी प्रकश डाला। तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों को केंद्र पर स्थापित पोषण वाटिका का भ्रमण भी कराया गया, जिसमें खरीफ मौसम की बेल वाली सब्ज़ियां जैसे- कद्दू, लौकी, करेला, तोरई, टिंडा तथा भिंडी, ग्वार, लोबिया लगायी गयी हैं। साथ ही इफको संस्था के सौजन्य से रबी मौसम में उगने वाली सब्ज़ियों के बीज मिनिकिट और अमरूद के पौधे भी सभी प्रशिक्षणार्थियों को वितरित किये गए। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में भी इन फलदार पौधों का पौधरोपण किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ ऋचा पंत ने किया तथा अंत में श्री भगवत सिंह ने सभी अतिथियों एवं आगंतुकों का हार्दिक आभार प्रकट किया तथा भविष्य में भी केंद्र के साथ जुड़े रहने का आह्वान किया।





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