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बरसे बादल, कृषि बजट में सूखा
हेम शर्मा
राजस्थान में मानसून की पहली बारिश अच्छी हुई है। किसान हल लेकर खेत की ओर उन्मुख हो रहे हैं। जमाना अच्छा हो जाए तो देश प्रदेश खुशहाल हो जाएं। राजस्थान सरकार ने तो वर्ष 2022_ 23 का कृषि बजट अलग से पेश किया है। मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना में कृषि के कुछ मदो में अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया है। कृषि क्षेत्र में चहुमुंखी विकास 11 मिशन के साथ, का नारा भी दिया है। इन सब का धरातल पर कोई असर नहीं है। बारिश होने के बाद कृषि विभाग ने हर साल की तरह बीजों के सीमित संख्या में मिनिकिट्स बांटने का काम शुरू किया है। 11 मिशन में राजस्थान बीज उत्पादन व वितरण मिशन कहां काम कर रहा है। बीज बाजार से ही लेने पड़ रहे हैं। राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई योजना, जैविक खेती, मिलेट्स प्रोत्साहन, संरक्षित खेती, उद्यानिकी विकास, भूमि उर्वरकता, फसल सुरक्षा, कृषि श्रमिक संबल, कृषि तकनीकी और खाद्य प्रसंस्करण मिशन लोक लुभावने नाम तो दे दिए हैं। वास्तव में हो कितना रहा है? यह जांचने की जरूरत है। माटी योजना में जिला कलक्टर जरूर मेहनत कर रहे हैं। बाकी चीजों में स्पष्ट रूप से हालत वैसे ही है जैसे 2021_22 के बजट में थे। कृषि पर इस वर्षा आधारित खेती के किसानों को तो खेती में सरकार की ओर से कोई ज्यादा कुछ होने के संसाधन दिखाई नहीं दिए। कृषि अधिकारी भी बोल नहीं रहे हैं। सरकार ने अलग कृषि बजट पेश करने के पीछे निहित दृष्टिकोण को फलीभूत तो करें। राजनीतिक चोंचलेबाजी से न तो बुवाई क्षेत्र बढ़ेगा और न कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकेगी। यह तो सरकार के सहयोग, समर्थन और कृषि नीतियों के क्रियान्वयन से ही हो सकेगा। बजट पेश करने और कृषि संबंधी घोषणाओं से तो राजनीति होगी खेती नहीं होगी।
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