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कविता समय का सच-जीवन यथार्थ को उद्घाटित करती है - रंगा

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कविता समय का सच-जीवन यथार्थ को उद्घाटित करती है - रंगा

बीकानेर 31 दिसम्बर 2021 
प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ की तरफ से साहित्य सृजनात्मक नवाचारों की श्रृंखला में प्रतिमाह किसी न किसी विषय पर हिन्दी, उर्दू एवं राजस्थानी की नई कविता, गज़ल, गीत आदि का कार्यक्रम ‘कवि बनाम कविता’ का आयोजन होता है। इसी कड़ी में इस माह ‘पानी’ पर केन्द्रीत कविता, गीत एवं शायरी का आयोजन नत्थूसर गेट के बाहर सृजन सदन नालन्दा पब्लिक सी. सै. स्कूल में राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की अध्यक्षता, वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी के मुख्य आतिथ्य एवं इतिहासविद् डॉ. फारूक चौहान के विशिष्ट आतिथ्य में हुआ।
अपने उद्बोधन में अध्यक्ष कमल रंगा ने कहा कि कविता समय के सच एवं जीवन-यथार्थ को उद्घाटित करती है। कविता करना एक चुनौती भरा सृजनात्मक उपक्रम है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अजय जोशी ने कहा कि कविता के माध्यम से सामाजिक स्थितियों परिस्थितियेां के साथ विडम्बनाओं को स्वर मिलता है। इसी क्रम में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ फारूक चौहान ने कहा कि ऐसे आयोजन नगर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को आगे ले जाते है। जिससे नई पीढ़ी रूबरू होती है। 
प्रांरंभ में सभी का स्वागत करते हुए युवा शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कहा कि सृजन सदन में साहित्यक सृजनात्मक आयोजन होना एक सुखद अनुभव है। 
आज की कवि बनाम कविता कार्यक्रम में हिन्दी का सौन्दर्य, उर्दू के मिठास एवं राजस्थानी की मठोठ के साथ युवा शायर क़ासिम बीकानेरी ने अपने ताजा शेर सुनाते हुए-‘जिंदा रहे तो पीने को पानी नहीं दिया/लाए हैं अब मज़ार पे भर भरके मश्क लोग’ वरिष्ठ शायर जाकिर अदिब ने अपनी ताज़ा गज़ल पेश करते हुए कहा-‘नफरत के खुदाओं से उम्मीद नहीं हमको/बीमारे-मुहब्बत की करनी है दवा-पानी’ इसी क्रम में कवि प्रो. नरसिंह बिन्नाणी ने-जल में समृद्धि का वास होता है/दूषित जल तन-मन को अस्वस्थ करता है’ वहीं कवि गिरिराज पारीक ने ‘पानी प्यास बुझाता है/जीवन सुखमय चलाता है’ पेश कर दाद बटोरी। वहीं कवि जुगल पुरोहित ने- ‘पानी की महिमा बडी/पानी है अनमोल’ का वाचन किया तो शायर मो. इशाक गौरी ‘सखी’ ने ‘उसकी अवाज खला में है दुआओं की तरह/चांद-तारों में जो पिन्हाँ है ज़रा सा पानी’  
परवान चढी काव्य धारा को नई रंगत देते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी ताजा राजस्थानी रचना के माध्यम से ‘पाणी नीं लजाऔ/राखौ लाज चैरे रै पाणी री’ के माध्यम से पानी के महत्व को रेखांकित किया। इसी क्रम में वरिष्ठ शायर वली गौरी ‘वली’ ने अपनी ताजा गज़ल का शेर तोड़ कर हद जिधर गया पानी/दर-बदर सबके कर गया पानी पेश किया। राजस्थानी कवि डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने अपनी नई कविता- जद ई बरसै पाणी/उणरी सौरम बूंद म्हनैं चेतन का वाचन किया। कवि बाबूलाल छंगाणी ने अपनी कविता-‘धरती पर धोरां चमके-सरवर का पानी दमके’ का वाचन किया।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में एक दर्जन से अधिक-शायरों ने पानी पर केन्द्रित अपनी नई रचना का वाचन किया। 
कार्यक्रम का संचालन युवा शायर कासिम बीकानेरी ने किया एवं सभी का आभार अशोक शर्मा ने ज्ञापित किया।







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