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मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना गांव-कस्बों तक के लाभार्थियों को अधिकतम लाभ देने और निजी अस्पतालों के योजना से जुड़ने की प्रक्रिया में किये नए बदलाव

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मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना

गांव-कस्बों तक के लाभार्थियों को अधिकतम लाभ देने और निजी अस्पतालों के योजना से जुड़ने की प्रक्रिया में किये नए बदलाव

*अस्पताल के 2 साल कार्यरत होने की शर्त को 1 साल किया, सुपर स्पेशिलिटी वाले अस्पताल का केवल 6 माह कार्यरत होना आवश्यक*

जयपुर, 14 जून। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ अधिक अधिक लोगों को मिले, इसके लिए योजना से निजी अस्पतालों के जुड़ने की प्रक्रिया के प्रावधानों में आंशिक बदलाव किया गया है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्योरेंस एजेंसी श्रीमती अरुणा राजोरिया ने बताया कि अब योजना से जोड़ने के लिए निजी अस्पताल के प्रदेश में कम से कम दो साल तक कार्यरत होने की शर्त को घटाकर एक साल कर दिया गया है। वही योजना से जुड़ने के लिए सुपर स्पेशलिटी सेवा वाले निजी अस्पताल का प्रदेश में केवल 6 महीने ही कार्यरत होना आवश्यक होगा।

श्रीमती राजोरिया ने बताया कि प्रदेश के 11 अति पिछड़े जिलों में ज्यादा से ज्यादा लाभार्थी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ें और उन्हें सरकारी के साथ प्राइवेट अस्पतालों में निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण इलाज मिलें, इसके लिए इन जिलों में एक साल और 6 महीने वाली शर्त भी लागू नही होगी। उन्होंने बताया कि इस प्रावधान के बाद और अधिक संख्या में निजी अस्पताल योजना में जुड़ पाएंगे जिसका सीधा लाभ योजना में पंजीकृत परिवारों को मिलेगा।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि इस संशोधन ने अपने गांव-कस्बे के पास ही बड़ी संख्या में उसे निशुल्क चिकित्सा का लाभ लेने के लिए सरकारी और निजी अस्पताल मिल पाएंगे। सुपर स्पेशिलिटी सेवा वाले निजी अस्पताल के प्रदेश में केवल 6 महीने कार्यरत करने के नए प्रावधान के बाद अब कई बड़े सुपर स्पेशिलिटी सेवा वाले निजी अस्पताल योजना से जुड़ पाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक योजना से 749 सरकारी और 365 निजी अस्पताल जुड़ कर लाभार्थियों को निःशुल्क चिकित्सा का लाभ दे रहे है। 

*ऑन कॉल अस्पतालो से सेवाएं देने की शर्त में भी किया संशोधन*
संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री काना राम ने बताया कि योजना में अब तक एक एनेस्थेटिक योजना से जुड़े केवल तीन ही निजी अस्पतालो में ऑन-कॉल अपनी सेवाएं दे सकता था, अब मरीजो के स्वास्थ्य के हित को देखते हुए इसे बढ़ाकर पांच अस्पताल कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रावधान के बाद अब एक एनेस्थेटिक योजना से जुड़े पांच अस्पतालो में अपनी सेवाएं दे पायेगा। इसके बाद सम्बद्ध निजी अस्पतालों में मरीजो को ऐनस्थेटिक की सेवाएं ज्यादा बड़ी संख्या में मिल पाएगी।

श्री काना राम ने बताया कि योजना में कुल 23 स्पेशिलिटी सेवाएं के तहत मरीजो को निःशुल्क उपचार दिया जा रहा है। इनमें से जनरल मेडिसिन स्पेशिलिटी के तहत भी 513 पैकेज और प्रोसीजर बनाये गए थे। अब तक इस स्पेशिलिटी में ही न्यूरोलॉजी, चेस्ट और टीबी, नेफ्रोलॉजी, गेस्ट्रोलॉजी का भी उपचार शामिल किया गया था।

संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि कई ऐसे निजी अस्पताल जो इनमें से केवल एक ही स्पेशिलिटी में कार्य कर रहे है, वो उक्त सभी सेवाओ में काम नही करने के कारण मेडिकल स्पेशिलिटी की सेवाएं अपने अस्पताल में ले नही पा रहे थे। अब इसके लिए नया प्रावधान कर जनरल मेडिसिन स्पेशिलिटी को पांच श्रेणियों- जनरल मेडिसिन, जनरल मेडिसिन न्यूरोलॉजी, जनरल मेडिसिन चेस्ट ऐंड टीबी और जनरल मेडिसिन नेफ्रोलॉजी मे बांटा गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रावधान के बाद निजी अस्पताल केवल अपने यहां उपलब्ध सेवा के अनुसार ही जनरल मेडिसन स्पेशिलिटी ले पाएँगे। इस सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश राज्य स्तर से जारी किए है।

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