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*प्राइवेट हॉस्पिटल में उपलब्ध सभी विशेषज्ञ सेवाएं योजनार्न्तगत पात्र रोगियों को मिलेंगी...* 'आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना‘ नवीन चरण में लाभार्थी को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा देने, भ्रष्टाचार रोकने और सही क्लेम के ही भुगतान के लिए किए हैं नए प्रावधान - मुख्य कार्यकारी अधिकारी

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'आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना‘

नवीन चरण में लाभार्थी को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा देने, भ्रष्टाचार रोकने और सही क्लेम के ही भुगतान के लिए किए हैं नए प्रावधान
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी

जयपुर, 1 फरवरी। राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्योरेंस एजेन्सी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती अरूणा राजोरिया ने बताया कि ’आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना‘ के नवीन चरण के अन्तर्गत लाभार्थी को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा प्रदान करने एवं भ्रष्टाचार को रोकने और सही क्लेम के ही भुगतान के लिए इस बार कई नए प्रावधान किए गए हैं।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि हॉस्पिटल एम्पैनलमेंट को पूर्णतः ऑनलाइन एवं पारदर्शी तरीके से सम्पादित करने के लिए आनलाइन हॉस्पीटल एम्पैनलमेंट माड्यूल (एचईएम) बनाया गया है। उन्होंने बताया कि योजना से सम्बद्ध होने के लिए विस्तृत गाइडलाइन तैयार की गयी है, जिसमें प्रत्येक स्पेशिलिटी के लिए विशिष्ट प्रावधान किए गए हैं। साथ ही में अस्पताल द्वारा सामान्य मरीजों के लिए उपलब्ध सभी स्पेशिलिटी ‘आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना‘ के लिए आवेदन करना भी अनिवार्य रखा गया है ताकि अस्पताल केवल कुछ विशेष पैकेजेज तक ही अपनी सेवाओं को सीमित नहीं करके अस्पताल में उपलब्ध सभी विशेषज्ञ सेवाएं योजनार्न्तगत उपलब्ध करावें जिससे लाभार्थियों को इलाज के लिए अलग-अलग अस्पताल में भटकना नहीं पडे।    

श्रीमती राजोरिया ने बताया कि नवीन योजना में क्लेम प्रोसेसिंग को सुगम बनाने एवं फ्रॉड को रोकने के लिए साफ्टवेयर में क्लेम सबमिट करते समय एमडीपी दस्तावेजों का प्रदर्शन, पैकेज बुक करते समय डॉक्टर के नाम की एंट्री, मरीज की लाइव फोटो एवं परिवार पहचान पत्र की फोटो का आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस द्वारा मिलान जैसे कई प्रावधान किये गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रत्येक पैकेज के लिए मिनिमम डॉक्यूमेंट प्रोटोकॉल का प्रावधान किया गया है, ताकि फ्रॉड क्लेम्स को रोका जा सके।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि राज्य स्तर पर एंटी फ्रॉड़ यूनिट का गठन किया गया है, जिसमें वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, आई.टी. एक्सपर्ट, डेटा एनालिस्ट एवं मेडिकल एक्सपर्ट की टीम के द्वारा अस्पतालों द्वारा सबमिट किये गये क्लेम्स की निरंतर मॉनिटरींग की जायेगी। इसके अलावा भारत सरकार के सहयोग से मरीजों की ऑडिट, डेस्क ऑडिट एवं हॉस्पिटल ऑडिट भी की जायेगी।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा योजना के गुणवत्तापूर्ण संचालन के लिए राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्योरेंस एजेंसी का सुदृढ़िकरण किया गया है, जिसमें आईटी प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (आईटी-पीएमयू) का गठन किया जा चुका है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी से जुडे विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य अधिकारी भी सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त राज्य स्तर पर इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेंशन यूनिट (आईपीएमयू) का गठन भी किया जा रहा है। जिला स्तर पर भी ’जिला क्रियान्वयन इकाई’ का गठन किया जायेगा ताकि योजना का संचालन एवं समन्वय बेहतर हो।

संयुक्त कार्यकारी अधिकारी श्री कानाराम ने बताया कि पूर्व में यह देखने में आता था कि विभिन्न अस्पतालों से उपचार के बाबत एक ही डॉक्टर के नाम से क्लेम सबमिट किये गये थे। यह क्लेम एक ही समय में अलग-अलग जिलों से प्रस्तुत किये गये जो कि प्रथम द्वष्टया फ्रॉड को दर्शाता है। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सक के स्थान पर अन्य डॉक्टर अथवा नसिर्ंगकर्मी द्वारा इलाज किया जाना परिलक्षित होता है अतः फा्रॅड नियंत्रण एवं मरीज को चिन्हित विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा ही इलाज मिले। इस बार यह प्रावधान किया गया है कि एक विशेषज्ञ अधिकतम तीन अस्पतालों में योजना अन्तर्गत कार्य कर सकता है। योजना के अन्तर्गत इस बार क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट का प्रावधान भी किया गया है ताकि योजना में अच्छे एवं एक्रीडिऎटेड अस्पताल जुड़ सके और मरीजो को बेहतर गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सके। उन्होंने बताया कि अस्पतालों की सुविधा के लिये केवल प्रोविजिनल सर्टिफिकेट प्रस्तुत कर भी योजना में जोडा जा सकता है।
श्री कानाराम ने बताया कि योजना के नवीन प्रावधानों में इस बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के द्वारा एनएबीएच अस्पतालों को पैकेज राशि के भुगतान में इंसेटिव दिये जाने का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान से अस्पताल अपने स्तर पर सेवाओं में गुणात्मक सुधार करेंगे एवं लाभार्थियो को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेगी। उन्होंने बताया कि इसी आधार पर इस योजना में एनएबीएच प्रमाणित अस्पतालों को 100 प्रतिशत तथा एनएबीएच एंट्री लेवल को 95 प्रतिशत एवं अन्य अस्पतालों को 85 प्रतिशत पैकेज राशि के भुगतान का प्रावधान किया गया है। इसमें 9 पिछड़े जिलों (बारां, बांसवाड़ा, बूंदी, चित्तौडगढ, धौलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, प्रतापगढ़, राजसमंद) का विशेष ध्यान रखते हुए नॉन एनएबीएच अस्पतालों को भी एनएबीएच एंट्री लेवल के बराबर भुगतान कर प्रावधान किया गया है।

संयुक्त कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि विगत योजना में असम्बद्ध किये जाने पर अस्पताल अन्य स्थान या जिलों में नाम बदल कर फ्रॉड की मंशा से पुनः योजना में जुडने का प्रयास करते रहे है। अतः इस बार योजना में 2 साल की निरंतरता का आवश्यक प्रावधान किया गया है ताकि स्थापित एवं गुणवत्तापूर्ण अस्पताल योजना से जुडें। यद्यपि 11 पिछडे जिलों में जहां अस्पताल 10 से कम है (बारां, बांसवाड़ा, बूंदी, चित्तौडगढ, धौलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, करौली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सिरोही), वहां 2 साल की बाध्यता नहीं रखी गयी है।

उन्होंने बताया कि विगत योजना में 82 निजी अस्पतालों को फ्रॉड एवं अन्य गतिविधियों के कारण असम्बद्ध किया गया था। अतः प्राप्त शिकायतों एवं सुझावों के आधार पर हॉस्पिटल एम्पेनलमेंट गाइडलाइन में विशेष प्रावधान किये गये है, ताकि अच्छे अस्पताल योजना से जुडे एवं फ्रॉड को न्यूनतम किया जा सके। चूंकि सरकारी अस्पतालों का सम्पूर्ण डेटाबेस राज्य सरकार के पास उपलब्ध रहता है ऎसे में योजना से जुडने वाले निजी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध चिकित्सकों एवं अन्य चिकित्सा सुविधाओं की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त की जाती है।

श्री कानाराम ने बताया कि इस महत्वकांशी योजना का उद्देश्य वंचित एवं गरीब परिवारों के लाभार्थी को निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करना है ना कि निजी अस्पतालों का सुदृढिकरण करना। अतः योजना में नए प्रावधान लाभार्थी के हितों को प्राथमिकता देते हुए किए गया है।✍🏻




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